अध्यापक आंदोलन के इतिहास में यह पहली बार हुआ

अशोक कुमार देवराले। पूरे मध्यप्रदेश में सभी जिला मुख्यालयों पर संतान पालन अवकाश पर प्रतिबन्ध के विरोध में म.प्र.शासकीय अध्यापक संगठन की महिला इकाई द्वारा सभी जिला मुख्यालयों पर माननीय मुख्यमंत्री जी के नाम ज्ञापन जिलाधीश महोदय को सौंपे।

साथियों आज का दिन अध्यापक इतिहास में मील का पत्थर साबित होगा। आज के दिन ने अध्यापक इतिहास में एक नया अध्याय शुरू कर दिया है। मैं अगर ये कहूं कि एक नए युग की शुरुवात हुई है ।तो कोई भी अतिशयोक्ति नहीं होगी।

1995 के शिक्षाकर्मी आंदोलन से लेकर 2015 के अध्यापक आंदोलन तक के इतिहास में यह पहला मोका है जब किसी आंदोलन की कमान पुरे प्रदेश में नारी शक्ति ने संभाली हो। आज के आंदोलन में नारी शक्ति ने ही हर जिले में नेतृत्व किया है यह पहली बार हुआ है।

और इसका श्रेय जाता है अध्यापक क्रन्ति के पुरोधा ब्रजेश शर्मा,आरिफ अंजुम,उपेन्द्र कौशल को निश्चित ही इनके कुशल नेतृत्व के कारण ही आज नारी शक्ति का जागरण सम्भव हो पाया है।

11 फरवरी के म.प्र.शासकीय अध्यापक संगठन के आंदोलन ने यह सिद्ध कर दिया। आज अध्यापक इतिहास में नारी शक्ति का जागरण हो गया है और अब शक्तियों ने प्रेरणा गीत शुरू कर दिए है। साथियों अब अध्यापक की कोई भी समस्या ज्यादा दिन नहीं रह सकती है। अगर अब अध्यापक हितों पर कुठाराघात हुआ तो यह मातृ शक्ति/नारी शक्ति अब ऐसा आंदोलन का इतिहास रचेगी जो आज तक कर्मचारी इतिहास में नहीं हुआ है। यह विश्वास अब हो चला है।

आपका भाई
अशोक कुमार देवराले
प्रांतीय उपाध्यक्ष
म.प्र.शासकीय अध्यापक संगठन

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