ईश्वर या धर्मग्रंथों के नाम पर ट्रेडमार्क अवैध: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है कि रामायण, कुरान जैसे धर्मग्रंथों के नामों पर कोई भी व्यक्ति अपना दावा नहीं कर सकता है। इन धर्मग्रंथों को वस्तुओं और सेवाओं की बिक्री के लिए ट्रेडमार्क के तौर पर इस्तेमाल भी नहीं किया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की बेंच ने कहा कि रामायण, कुरान, बाइबल, गुरु ग्रंथ साहिब आदि पवित्र और धार्मिक ग्रंथ हैं। यदि कोई पूछे कि क्या कोई व्यक्ति वस्तुओं या सेवाओं की बिक्री के लिए किसी धर्मग्रंथ के नाम का ट्रेडमार्क के तौर पर इस्तेमाल कर सकता है तो इसका जवाब है नहीं। बेंच ने कहा कि ईश्वर या धर्मग्रंथों के नाम का इस्तेमाल ट्रेडमार्क के तौर पर करने की अनुमति देने से लोगों की भावनाएं आहत हो सकती हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनाए गए अपने 16 पन्ने के फैसले में कहा कि रामायण शब्द महर्षि वाल्मिकी द्वारा लिखित एक ग्रंथ का नाम है। इसे हमारे देश में हिंदुओं का एक धार्मिक ग्रंथ माना जाता है। इसलिए किसी भी वस्तु के लिए रामायण शब्द का ट्रेडमार्क के तौर पर पंजीकरण कराने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
यह है मामला :
सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला बिहार के एक कारोबारी की अपील पर दिया है। उन्होंने अपनी याचिका में रामायण शब्द का ट्रेडमार्क अगरबत्ती और इत्र बेचने के लिए मांगा था। बौद्धिक संपदा अपीलीय बोर्ड ने अपीलकर्ता के खिलाफ आदेश दिया था, जिसको उन्होंने कोर्ट में चुनौती दी थी।

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