भोपाल। सारा प्रदेश जानता है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जिस भी चुनाव प्रचार में जाते हैं, वोटर्स से शिवराज के नाम पर वोट मांगते हैं। अपनी ओर से वादे भी करते हैं परंतु झाबुआ में उन्होंने अपने नाम पर वोट नहीं मांगे थे। यह खुलासा खुद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान ने किया है।
पत्रकारों से चर्चा के समय एक सवाल आया
शिवराज ने सभाओं में कहा था कि 'मैं चुनाव लड़ रहा हूं और इस चुनाव में मेरी प्रतिष्ठा दांव पर है' आप मुझे देखकर वोट करें। मैं विकास करूंगा।
नंदकुमार सिंह चौहान ने जवाब दिया
मुख्यमंत्री ने ऐसी कोई भी बात नहीं कही थी।
अब सवाल सिर्फ इतना सा कि क्या 22 चुनावी सभाएं महज औपचारिकताएं थीं। शिवराज ने अपनी प्रत्याशी को जिताने के लिए वो जोर नहीं लगाया जो पूरे मध्यप्रदेश में वो हर प्रत्याशी के लिए लगाया करते हैं।
यहां याद दिला दें कि शिवराज सिंह और कांतिलाल भूरिया की मित्रता के किस्से भी गाहे बगाहे सुनाए जाते रहे हैं। जब कांतिलाल भूरिया प्रदेश अध्यक्ष हुआ करते थे, तब उन पर खुले आरोप लगे थे कि वो शिवराज के लिए काम करते हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने तो एक फाइल भी गांधी दरबार में पेश की थी।
अब क्या माना जाए कि शिवराज ने 22 सभाएं करके हाईकमान को पूरी मेहनत करने का संदेश जरूर भेजा परंतु जमीनी स्तर पर भूरिया ने अपनी दोस्ती निभा दी।
मप्र में ऐसा पहले भी होता रहा है। स्व. माधवराव सिंधिया के खिलाफ एक प्रचार में भाजपा की राजमाता सिंधिया ने कांग्रेस को वोट देने का इशारा किया था। कमलनाथ के चुनाव प्रचार में भी एक बार ऐसा ही हुआ था।