राकेश दुबे@प्रतिदिन। भारत में इन दिनों जिस एक शब्द को लेकर बहस चल रही है, वह है “सेक्युलर” | विभिन्न स्तरों पर चल रही बहस इसके भिन्न भिन्न शाब्दिक, प्रयोजनीय और राजनीतिक अर्थ समझा रहे है और खोज रहे हैं | भारत के गृह मंत्री ने अपने सन्गठन में प्रयोग किये जा रहे अर्थ को को उपयोग करने की सलाह दे डाली | वास्तव में यह “सेक्युलर” शब्द है. क्या ? कांग्रेस का शब्द कोष उठाकर देखें,उससे अधिक और कोई संस्था इस शब्द के नजदीक नहीं है, मौका आ जाये तो वाम दलों को भी भाजपा, शिव सेना या ओवेसी के राजनीतिक दल के साथ खड़ा कर दे | क्योंकि इंदिरा गाँधी इस शब्द को भारतीय संविधान में जोड़ गई हैं |
सेकुलरवाद या पंथनिरपेक्षता भारतीय विचारधारा नहीं है| अंग्रेजी शब्दकोषों में ‘सेकुलर’ का अर्थ भौतिक/इहलौकिक बताया गया है| सेकुलर भौतिक संसार का पर्यायवाची है| भारत में भौतिकता और आस्था के बीच कभी कोई संघर्ष नहीं चला| यूरोप में ऐसा संघर्ष लंबे समय तक चला| ईसाई चर्च राज्य व्यवस्था पर हावी थे, रोमन राज्यों ने कुछ समय तक विरोध किया, लेकिन ईसाई आधिपत्य को जीत मिली| चर्च राज्यसत्ता के रोजमर्रा कार्यों शासन, कराधान, सड़क और जल आपूर्ति में भी दखल करता था| ११ वीं सदी में ब्रिटेन के राजा हेनरी चतुर्थ ने बगावत की, लेकिन उसे पोप ग्रेगरी सप्तम के सामने झुकना पड़ा|. हेनरी हार कर भी पोप (चर्च) और राज्य व्यवस्था के अधिकारों पर बहस चलवाने में कामयाब रहे. आगस्टिन पोप के समर्थक बने,वायक्लिफ, दांते आदि ने पोपवाद का विरोध किया| इतिहास बताता है कि २० सितम्बर १८७० के दिन पोप के रोम पर इटली का अधिकार हो गया| पोप बनाम इटली के स्वतंत्र राज्य को लेकर मतदान हुआ,पोपवाद हार गया| इटली की संसद ने १८७१ में लॉ आफ पेपर गारंटीज’ पारित किया|१९०५ में फ्रांस ने भी पृथकता कानून बनाकर भौतिक (सेकुलर) विषयों पर राज्यव्यवस्था का एकाधिकार मजबूत किया| राजकाज के संचालन में पोप/पादरी/मौलवी और संगठित पंथ के दबाव से मुक्ति ही सेकुलरवाद हैं|
अथर्ववेदका रचना काल ३ ४ हजार वर्ष पूर्व का है| तब ईसाईयत नहीं थी, इस्लाम भी नहीं था, लेकिन इसके पृथ्वी सूक्त (12.1.45) कहते हैं “हे धरती मां! आप विभिन्न भाषा भाषी और विभिन्न धर्म वाले मनुष्यों को एक परिवार की तरह आश्रय व ऐर्य देवें|” भारत के संविधान निर्माता इस तथ्य से परिचित थे, इसीलिए प्रस्तावना में प्रभुत्व सम्पन्न लोकतंत्रात्मक गणराज्य का उल्लेख हुआ| जवाहर लाल नेहरू के मन में धर्मनिरपेक्ष नहीं ‘असाम्प्रदायिक’ शब्द था, लेकिन इंदिरा गांधी ने संविधान निर्माताओं द्वारा तय किए गए राष्ट्रीय स्वरूप पर भी सेकुलर शब्द चस्पा कर दिया| यूरोप में सेकुलर का उद्देश्य राजकाज को पंथ-दबाव से मुक्त रखना है परन्तु भारत में इसका लक्ष्य तुष्टीकरण बना दिया गया है |