शिवराज सिंह: पहली शिकस्त के बाद दूसरी चुनौती: नंदू को कैसे बचाएं

भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह इधर अपने सफलतम 10 साल पूरे कर रहे हैं और उधर रतलाम झाबुआ से उनकी शिकस्त शुरू हो गई। शिवराज के सामने अब दूसरी चुनौती नंदकुमार सिंह चौहान की कुर्सी है। दिसम्बर में भाजपा के संगठनात्मक चुनाव होने हैं, बहुत सारे लोग नंदूभैया को पसंद नहीं करते। ऐसे में उनकी कृपा पदस्थापना जारी रहेगी, इसमें भी संशय ही है।

बीजेपी के प्रदेश चुनाव अधिकारी अजय प्रताप सिंह ने ऐलान किया है कि रतलाम, झाबुआ, अलीराजपुर और देवास जिले में स्थगित की गई संगठन चुनावी प्रक्रिया 29 से शुरु होगी। यहां 29 और 30 नवंबर को स्थानीय समितियों का गठन होगा, जबकि प्रदेश के बाकी जिलों में मण्डलों के गठन की प्रक्रिया 5 और 6 दिसंबर को होगी।

वहीं प्रदेश बीजेपी के नए अध्यक्ष की निर्वाचन प्रक्रिया भी दिसंबर में ही खत्म करने की कोशिश की जा रही है। ताकि नए साल से पहले संगठन चुनावों को खत्म किया जा सके।

कुल मिलाकर नंदकुमार का काउंडाउन शुरू हो गया है। सब जानते हैं कि नंदकुमार सिंह पिछली दफा अपनी योग्यता नहीं बल्कि शिवराज की पसंद के चलते अध्यक्ष बने थे। उस समय भी शिवराज को काफी मशक्कत करनी पड़ी थी। अब तो हालात बदल गए हैं। दिल्ली, बिहार के बाद हार का सिलसिला मप्र तक आ पहुंचा है। नंदकुमार के खाते में भी कई बे​तुके बयान दर्ज हो चुके हैं। इस दौरान उन्होंने ऐसा कोई काम नहीं किया, जो तमाम खामियों को छुपा सके। एक प्रकार से नंदकुमार के नाम पर शिवराज ने संगठन को अपनी जेब में कर रखा था, लेकिन संगठन अब शिवराज से मुक्ति के मूड में है। देखते हैं इस नई चुनौती का राजनीति के कुशल योद्धा शिवराज सिंह चौहान किस तरह से मुकाबला करते हैं। 

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