मध्यप्रदेश के सभी अध्यापक साथियों को सादर वन्दे ।
साथियों संगठन में शक्ति है नाम उॅचा करने की राजनीति तो बहुत हो चुकी, अब हमारे एक होने का समय आ गया है। जिस प्रकार अंग्रजो ने फूट डालो ओर शासन करों की नीति अपना कर हम पर 200 वर्षो तक राज किया वही कहानी फिर प्रदेश के लाखों अध्यापकों के साथ दोहराई जा रही हैं। वो चाहते है कि हम अध्यापक लोगो में फूट पड़े और हम लोगो ने उनके बहकावे में आकर अलग अलग लगभग 11 संगठन बना लिये है और सभी संगठन अपनी अपनी राजनैतिक रोटिया सेकने में लगे है सभी संगठन एक दुसरे पर आरोप प्रत्यारोप करने में लगे हुये है। प्रत्येक संगठन चाहता है कि वाह वाही मुझे मिले। लेकिन इसमें सीधा नुकसान आम अध्यापकों का है ।
जब कभी किसी भी संगठन द्वारा आंदोलन का आव्हान किया जाता है तो बिचारा आम अध्यापक आॅख मुंदकर आंदोलन में अपने आप को झौक देता है। फिर भी संगठनों द्वारा आम अध्यापक के हित को परे रखकर अपना उल्लू सीधा करने में लगे हुये है ।
कब तक हर बार आम अध्यापक धोके का शिकार होते रहेगा ।
साथियों मेंरा आपसे विनम्र निवेदन हे कि अब वक्त है कि हमसब एक दुसरे का
साथ दे। जो आम अध्यापक को धोखा देना चाहता है या धोके में रखना चाहता है उसे आईना दिखायें। साथियों बूंद बूंद से घड़ा भरता है तो फिर क्यों लाखों आम अध्यापकों को नजर अंदाज करके संघ के दो चार पदाधिकारी अपने स्वार्थ सिद्धि के लिये सब कुछ भुल जाते है। संगठन में नींव का पत्थर एक आम अध्यापक है फीर भी हमेषा इनके भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जाता है। आगामी दिनों में अध्यापक महापंचायत का आयोजन होने जा रहा है प्रदेषभर के लाखों आम अध्यापकों में फिर से आषा की नई उम्मीद जगी है। तो इन संगठनों के पदाधिकारीयों सें निवेदन है कि थोड़े समय के लिये एक आम अध्यापक की भाॅति सोचे और लाखों आम अध्यापकों की उम्मीदों पर पानी न फेरें।
प्रदेश के लाखों आम अध्यापक हर उस व्यक्ति या संगठन के साथ है जो निजी स्वार्थ को परे रखकर अध्यापक हित की बात करेगा। मैं किसी संघ या संगठन की और से ये बात नहीं कह रहा हूॅ। ये मेरे यानि प्रदेश के एक आम अध्यापक के अंतर मन की आवाज है। जो आज सभी संगठनों तक पहुचायी जाना बहुत ही आवश्यक हो गया है।
‘‘लक्ष्य पर आधे रास्ते तक जाकर कभी वापस न लोटे, क्योकि वापस लौटने पर भी आधा रास्ता पार करना पड़ता है‘‘
‘‘रास्ता खुबसुरत है तो पता करों की किस मंजिल की तरफ जाता है, लेकिन यदि मंजिल खुबसूरत हो तो रास्ते की परवाह मत करो ।
जय हिन्द
पवन अग्रवाल
कन्हैयालाल मालवीय