396 HS/HSC स्कूलों को मान्यता नहीं मिली, 1 लाख छात्र हुए प्राइवेट

भोपाल। मप्र में 142 हाई एवं हायर सेकेंडरी स्कूलों की मान्यता समाप्त कर दी गई है। जबकि 254 नए स्कूलों को भी मान्यता नहीं दी है। इसी के साथ इन स्कूलों में रेग्यूलर स्टडी कर रहे 1 लाख स्टूडेंट प्राइवेट हो गए। 

लोक शिक्षण संचालनालय ने हाल में 142 स्कूलों की मान्यता निरस्त कर दी है। इसके अलावा 254 स्कूलों के मान्यता आवेदन खारिज कर दिए हैं। यह तब हुआ, जब 142 स्कूलों के करीब 25 हजार विद्यार्थी नियमित परीक्षार्थी के रूप में परीक्षा फार्म भी भर चुके हैं और इस आधार पर कलेक्टर परीक्षा केंद्रों का निर्धारण भी कर चुके हैं। 

मान्यता निरस्त कर लोक शिक्षण ने मप्र माध्यमिक शिक्षा मंडल को सूची भेज दी है। जिससे मंडल के अधिकारी तनाव में हैं। क्योंकि मंडल के परीक्षा केंद्र निर्धारण नियमों के तहत प्राइवेट और नियमित छात्रों के लिए अलग-अलग परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं। अब प्राइवेट छात्र बढ़ते हैं, तो परीक्षा केंद्रों का निर्धारण फिर से करना पड़ेगा।

ऐसे तर्क दिए गए
भोपाल प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष अजीत सिंह ने बताया कि पुराने स्कूलों की मान्यता निरस्त करते हुए आयुक्त लोक शिक्षण ने ऐसे तर्क दिए हैं, जिन्हें मान्य नहीं किया जा सकता। श्री सिंह ने बताया कि आयुक्त ने बीकॉम-बीएड डिग्रीधारी शिक्षक से अंग्रेजी पढ़वाने पर सवाल उठाए। जबकि सरकारी स्कूलों में इससे बद्तर स्थिति है। आयुक्त ने इन स्कूलों को बंद क्यों नहीं कर दिया।

75 हजार विद्यार्थियों का क्या होगा
नवीन मान्यता के लिए अर्जी लगाने वाले 254 स्कूलों में करीब 75 हजार विद्यार्थी पढ़ाई शुरू कर चुके हैं। इन स्कूलों के मान्यता आवेदन भी निरस्त कर दिए हैं। अब इन विद्यार्थियों को भी प्राइवेट छात्र के रूप में परीक्षा में बैठना पड़ेगा। हालांकि इनके साथ यह अच्छा है कि इन छात्रों ने नियमित छात्र के रूप में फार्म नहीं भरा है।

बीच सत्र में खत्म नहीं कर सकते मान्यता
मान्यता नियम के मुताबिक बीच सत्र में किसी भी स्कूल की मान्यता खत्म नहीं की जा सकती है। यदि मान्यता खत्म ही करनी थी, तो अगले सत्र से की जाना थी। वैसे तो नवीनीकरण के मामलों में देरी से ही सही छात्रहित में मान्यता देना अनिवार्य होता है।

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मान्यता को लेकर शिकायतें आई हैं। वरिष्ठ मंत्री को भी शिकायतों की जानकारी दे दी गई है। मामले की जांच कराई जाएगी, जो गलत करेगा, उस पर कार्रवाई की जाएगी।
दीपक जोशी, राज्यमंत्री, स्कूल शिक्षा विभाग

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