अध्यापक और शिवराज का रिश्ता इतना तनावपूर्ण क्यों है ?

भोपाल। एक जागरुक पाठक ने अध्यापक एवं शिवराज के रिश्तों में आए तनाव को लेकर एक खुलाखत जारी किया है परंतु पत्रलेखक ने आग्रह किया है कि वो माफियाओं का शिकार होना नहीं चाहता इसलिए कृपया मेरे नाम का प्रकाशन ना करें। हम गोपनीयता की शर्त का पालन करते हुए प्रस्तुत कर रहे हैं वह खत जो भोपाल समाचार को मिला: 

पाकिस्तान आतंकवादियों को पनाह देकर कश्मीर मे घुसपैठ कराकर भारत मे हत्याए, बम बिस्फोट कराकर दहशत फैलाई थी। वही आतंकवादी आज पाकिस्तान के लिए नासुर बन गए है। पाकिस्तान मे यही आतंकवादी बम बिस्फोट कर दहशत फैलाकर हत्याए कर रहे है। पाकिस्तान मे आतंकी इतने ताकतवर हो गए कि अब सेना भी उनसे डरती है।यही हाल म.प्र. मे भाजपा व शिवराज का हो रहा है। 

दिग्विजय सिंह के मुख्यमंत्री के समय वर्ष 1994 से 2003 तक ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत व जिला पंचायत द्वारा गुरू जी, शिक्षाकर्मी 3,व 2,1 की नियुक्ति की गयी थी। जो पूर्णतय: लेनदेन, भाई भतीजावाद होकर राजनितिझो ने की थी। इन लोंगो को प्रारंभ से ही नौकरी से मतलब नहीं रहा। अपने आकाओ की चरण वंदना ही इनका मुख्य ध्येय रहा। गुरू जी की नियुक्ति के लिए योग्यता 10वीं पास थी। सभी नियुक्तियों मे ग्राम पंचायत के व्यक्ति को प्राथमिकता दी गयी थी। 

वर्ष 2002-03 मे मुरलीधर पाटीदार के नेतृत्व मे शिक्षा कर्मियों ने हड़ताल की। दिग्विजय सिंह शिक्षा कर्मियों को वेतन बढ़ाने तैयार हो गए थे किन्तु मुरलीधर पाटीदार तैयार नहीं हुए। बाद मे भाजपा की सरकार वनी। वर्ष 2005 मे शिक्षा कर्मियों का वेतन बढ़ा किन्तु दिग्विजय सिंह जितना बढ़ा रहे थे उससे कम। पर मुरलीधर पाटीदार तैयार हो गए। शिक्षा कर्मियों को समझ मे आ गया कि भाजपा व मुरलीधर पाटीदार मे गठजोड़ हो गया। धीरे-धीरे शिक्षा कर्मियों जो वर्ष 2007 मे अध्यापक हो गए, कई संघठन बन गए किन्तु अध्यापक सब कुछ समझने के बाद भी शांत रहे। वर्ष 2008 मे फिर भाजपा की सरकार बनी, शिवराज सिंह मुख्यमंत्री बने। जिन्होंने वर्ष 2011 मे अध्यापको को सम्मानजनक वेतनमान दिया। 

वर्ष 2006 से अध्यापकों की नियुक्ति व्यापम द्वारा होने लगी |जिससे शिक्षा विभाग को योग्य अध्यापको का मिलना प्रारंभ हुआ। वर्ष 2013 मे शिवराज सिंह ने अध्यापकों को छटवां वेतनमान देकर मुरलीधर पाटीदार को विधायक का टिकिट का तोहफा दिया।  जो जीत कर आज भी माननीय है। इस प्रकार भाजपा व मुरलीधर पाटीदार ने स्कूल व  छात्रो के हित मे कोई योगदान नहीं दिया। अध्यापको को गुमराह करते रहे। 

अध्यापको का यह कहना पूर्णता: गलत है कि वर्ष 2003 के चुनाव मे हम लोंगो के कारण भाजपा की सरकार बनी। उस समय इनकी संख्या मात्र एक लाख के करीब थी। जबकि दिग्विजय सिंह ने प्रदेश के सभी कर्मचारियों का शोषण कर परेशान किया था। जिनकी संख्या करीबन आठ लाख थी। वर्ष 2003 तक नियुक्त अध्यापक (शिक्षाकर्मी) पूर्णतया: राजनितिझ पृष्ठभूमि के है। जो शेष दो लाख अध्यापक पर आज भी भरी है। यह बात भी सही है कि शिवराज सिंह जी नहीं अध्यापको को बहुत दिया। इतना दिया कि शिक्षा विभाग के नियमित शिक्षक जो योग्यता, अनुभव रखने के उपरांत भी आज अध्यापको के अधीनस्थ कार्य करने को मजबूर है। 

शिवराज सिंह व भाजपा ने शिक्षा विभाग को बर्बाद कर अध्यापकों को बढ़ावा दिया। वही अध्यापक आज शिवराज सिंह, भाजपा अध्यक्ष नन्दू भैया, मंत्री गणों को खुलेआम सोशल नेटवर्किंग साइड पर अपशब्द, गलियां पोष्ट कर रहे है। प्रिंट व इलेक्ट्रानिक मीडिया को मसाला उपलब्ध कराया जा रहा है। सरकारी प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा, भाजपा अध्यक्ष नन्द कुमार सिंह चौहान, भाजपा उपाध्यक्ष रघुनन्दन शर्मा के कथन यह प्रमाणित करते है कि अध्यापको को हद से ज्यादा बढावा दिया। अब शिवराज व भाजपा चाह कर भी अध्यापको का कुछ नहीं विगाड़ पा रहे है। हम कह सकते है कि गलत कार्य का फल भी गलत मिलाता है। जो हाल पाकिस्तान का हो रहा है वही हाल भाजपा व शिवराज का हो रहा है |

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