क्या हम गुरुजीयों के बारे में भी सोचेगा कोई। 14 वर्ष में तो राम का भी वनवास पूरा हो गया था हमें तो १८ साल हो गये। संयुक्त मोर्चा की बात करते हो, जब बात मांगो की आती है तो सब अपना-अपना मांग लेते हो। हमें भुला दिया जाता है। क्या कभी सोचा है कि यह गुरुजी 3600रु. में कैसे अपने बच्चों का पेट पालन करते होगें। शौषण की पराकाष्ठा है यह हमारे हिसाब से तो। अध्यापकों को तो बहुत अच्छा दे दिया हम तो अभी इस वेतन की आस लगाये है।