भोपाल। अध्यापकों के दिलों में नश्तर की तरह घुसे नंदकुमार सिंह चौहान के बयान के बाद वाइस प्रेसीडेंट रघुनंदन शर्मा का मुरलीधर के नाम पर दिया गया तीखा बयान कोई भी कर्मचारी नेता पचा नहीं पाया और सारे संगठन एक साथ भाजपा पर भड़क उठे। कर्मचारियों का कहना है कि मुरलीधर पाटीदार को टिकिट भाजपा ने दिया था। ऐसी ही खुद्दारी थी तो क्या जरूरत थी मुरलीधर को टिकिट देने की। इससे पहले खुद पाटीदार ने भी कहा था कि यदि नंदकुमार सिंह कहें तो वो इस्तीफा देने को तैयार हैं। कुल मिलाकर भाजपा के कड़वे प्रवचन अब भाजपा पर ही भारी पड़ गए।
10 साल में कोई एहसान नहीं किया कर्मचारियों पर
कर्मचारी नेताओं के मुताबिक भाजपा सरकार ने पिछले दस साल में कर्मचारियों की सिर्फ दो मांगें पूरी की हैं। जिसका प्रत्येक कर्मचारी को लाभ मिला है। इसमें एक छठा वेतनमान और दूसरा समय से डीए देने की है। इसके अलावा अलग-अलग संवर्ग के कर्मचारियों की कुछ मांगें पूरी की हैं। जिनका लाभ सिर्फ संवर्ग तक सीमित है।
टिकिट से बेहतर था 6वां वेतनमान दे देते
सभी कर्मचारी नेताओं को एक कसौटी पर कसना उचित नहीं है। प्रदेश के अनेक कर्मचारी नेताओं ने सरकार से लंबी लड़ाई लड़ कर्मचारियों को लाभान्वित कराया है। जहां तक मुरलीधर पाटीदार की बात रही, तो यह भाजपा का निर्णय था। इससे अच्छा तो सरकार अध्यापकों को छठे वेतनमान का लाभ दे देती। कम से कम अध्यापक आंदोलित तो नहीं होते।
जितेन्द्र सिंह,
अध्यक्ष मप्र राज्य कर्मचारी संघ एवं अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त मोर्चा
दिलाई दिग्विजय की याद
हर कर्मचारी राजनीतिक लाभ के लिए नेतागिरी नहीं करता। एक दाना टटोलकर पूरे कर्मचारियों को गलत नहीं ठहराना चाहिए। दिग्विजय सिंह ने कर्मचारियों को साध लिया होता, तो प्रदेश की सूरत अलग होती। नेताओं को संयम रखना चाहिए।
भुवनेश पटेल,
अध्यक्ष अपाक्स
एक चश्मे से मत देखना
कौन किसका इस्तेमाल कर रहा है। इस पर चिंतन-मनन होना चाहिए। पाटीदार को टिकट तो आपने ही दिया है और भी कर्मचारी-अधिकारी हैं, जिन्हें आपने चुनाव लड़ाया है। सारे कर्मचारियों को एक जैसा ठहराना उचित नहीं है।
भूपेश गुप्ता
अध्यक्ष मप्र मुख्य कार्यपालन अधिकारी संघ
गरिमा में रहिए वरना...
वरिष्ठ नेता का बयान उचित नहीं है। कर्मचारी अपनी गरिमा में रहते हैं और नेताओं को भी अपनी गरिमा में रहना चाहिए। वरना, कर्मचारियों को उनके खिलाफ भी संगठित होना पड़ेगा।
अमरसिंह परमार
नेता, मप्र राजपत्रित अधिकारी संघ
हमें तो बस संविलियन चाहिए
हम नेता नहीं, शिक्षक बनने आए थे। जब सीएम सकारात्मक पहल कर रहे हैं, तब पार्टी के नेताओं को उकसाने वाले बयान नहीं देना चाहिए। हम तो सिर्फ अपनी मांग कर रहे हैं, हमें नेता बनाने की कोशिश क्यों की जा रही है। सरकार अध्यापक नेताओं की नहीं, आम अध्यापकों की बात सुने।
भरत पटेल
अध्यक्ष, आजाद अध्यापक संघ