सुधीर ताम्रकार/बालाघाट। यहां के प्रशासनिक अधिकारियों ने राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के आदेश को फाइल में दबा दिया है। रेत माफिया के हित में वो लगातार मौन बने हुए हैं और रेत का अवैध उत्खनन जारी है।
राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण एनजीटी द्वारा मध्यप्रदेश शासन को निर्देश जारी कर रेत के उत्खनन पर तत्कालीन रोक लगाये जाने के निर्देश जारी किये गये है। जिसके आधार पर शासन ने मध्यप्रदेश के समस्त कलेक्टरों को निर्देश जारी कर उनके जिलों में अवैध उत्खनन के क्रियाकलापों पर रोक लगाये जाने के निर्देश दिये थे लेकिन बालाघाट जिले में उनका परिपालन होता नही दिखाई दे रहा है।
खनन माफिया बालाघाट जिले में चनई नंदी, वैनगंगा नदी, बावनथडी एवं सर्राटी, बंजर नदी सहित अन्य नालों के आसपास से रेत का अवैध उत्खनन कर बालाघाट जिले के बाहर अन्य जिलों में परिवहन कर रहे है प्रदेश से महाराष्ट में रेत ले जाई जा रही है।
एनजीटी के निर्देश पर जिला प्रशासन कडी कार्यवाही कर रेत का अवैध उत्खनन कर रहे माफियाओं पर नकेल कसने के लिये क्यों खामोश बैठा हुआ है।
महाराष्ट के सीमावर्ती बोनकट्टा बावनथडी नदी में भारी मशीनें लगाकर बावनथडी नदी से 24 घण्टे रेत निकाली जा रही है प्रतिदिन 50 से 100 डम्पर रेत की ढुलाई में लगे है। भारी भरकम डम्परों की आवाजाही के कारण सडक मार्ग क्षतिग्रस्त हो गया है जिस पर मुश्किल है।
बोनकट्टा से कटंगी मुख्यालय की 30 किलोमीटर की दूरी तय करने में 1 घण्टे का समय लगाता है जिसके कारण कभी भी कोई बडी दुर्घटना घट सकती है। ऐसा लगता है इस पर रोक लगाने के लिये प्रशासन किसी बडे हादसे का इंतजार कर रहा हैं।
मार्ग के क्षतिग्रस्त होने से अब उन गांव से जहां से डम्पर गुजर रहे है उन गांव की जनता में आक्रोश दिखाई देने लगा है। प्रशासनिक कार्यवाही के अभाव में आने वाले दिनों में नागरिक सडक पर उतरेगें डम्पर चालकों को रोकेगें तो टकराव की स्थिति बनेगी फिर कानून और व्यवस्था का सवाल खडा होगा?