शिवपुरी के सिंघम बनना चाहते हैं DPC शेरोमणि दुबे

महोदय मैं आपके माध्यम से बताना चाहता हूँ की शिवपुरी के डीपीसी महोदय का घमंड अपने चरम पर है। शिक्षा सुधार करते करते अब वो अपने आप को शिक्षकों के माईबाप और शिक्षकों को अपना बंधुआ समझने लगे हैं। डीपीसी शिरोमणि दुबे के राजनितिक संपर्क भोपाल में सत्ताधारी मंत्रियों से नजदीकी माने जाते है जिसका फायदा उन्होंने कई बार उठाया है।

पहल अच्छी, प्रक्रिया गलत
डीपीसी महोदय ने शिवपुरी में मोबाइल मोनिटरिंग चला रखी है। अच्छी बात है शिक्षा में सुधार होना चाहिए। पर अब उनका तरीका देखिये ।प्रतिदिन 40 स्कूलों में फोन लगा कर पता किया जाता है की कोई स्कूल से गायब तो नहीं है। यदि शिक्षक का मोबाइल बंद हुआ या कवरेज से बाहर हुआ तो उसे अनुपस्थित मान कर उसका 7 दिन का वेतन काट दिया जाता है।

सुर्खियों में बने रहने का शगल
उनसे कोई पूछे कितने गाँव है जहाँ बिजली आती है, कितने गाँव है जहाँ सभी कंपनियों का नेटवर्क है। क्या नेटवर्क कभी प्रॉब्लम नहीं देता। जो शिक्षक मोबाइल मोनिटरिंग में डीपीसी महोदय के चंगुल में फस जाते है उनका नाम सुबह के पेपर में बड़े बड़े अक्षर में छापा जाता है। महोदय  उनमे से कई निर्दोष भी हो सकते हैं उनकी बदनामी करना क्या उसके साथ और खुद शिक्षा विभाग के साथ न्याय है।

कानूनन हाथ फंसाने से डरते हैं
इसके बाद जो पकड़ा जाता है उसकी वेतन काटी नहीं जाती बल्कि रोक दी जाती है ताकि जांच के नाम पर न्यायालय की कार्यवाही से बचा जा सके।

डीईओ ने स्टंटबाजी करार दिया
मंगलवार के पत्रिका समाचार पत्र में शिवपुरी के डीईओ महोदय श्रीमान गिल महोदय ने डीपीसी महोदय की मोबाईल मोनिटरिंग और उसके बाद शिक्षकों के नाम पेपर में छापने को स्टंटबाजी करार दिया और कहा की 7 दिन का वेतन काटना नियम विरुद्ध है। साथ ही उन्होंने कहा की अगर वास्तव में डीपीसी महोदय शिक्षा का स्तर सुधारना चाहते है तो उन्हें अपने अधीन सीएसी, बीएसी और बीआरसी को सुधारना चाहिए।

जबरन के प्रवक्ता का बयान
डीईओ महोदय के कथन के जबाब में डीपीसी कार्यालय से डीपीसी महोदय के निकटस्थ वत्सराज राठौर ने जबाव दिया जो उसी के साथ छपा। उन्होंने कहा की हम कोई नियम विरुद्ध कार्य नहीं कर रहे हैं। हमने 7 दिन का वेतन काटने की अनुमति श्रीमान कलेक्टर महोदय से ले ली है।

दूसरे दिन सामने आए
आज बुधवार के पत्रिका समाचार पत्र में डीपीसी महोदय का बयान छपा है की जो मेरी कार्रवाईयों से घबरा गए है वो ही मेरा विरोध कर रहे।

जिसे दंडित किया वही दायां हाथ बन गया
अब बात करे डीपीसी महोदय के खास व्यक्ति जो उनके दांये हाथ बने हुए है वो है वत्सराज राठौर। पद से सहायक शिक्षक है, बीआरसी रह चुके हैं। अपने अभी तक के सेवा काल में हमेशा डीईओ ऑफिस जैसी जगह अटैच रहे हैं।

श्रीमान शिरोमणि दुबे के हाथों निलंबित होने वाले लोगों में वे अग्रणी व्यक्ति है। कारण विद्यालय पर उपस्थित न रहना, अटैचमेंट, वित्तीय अनियमितता।

वो ही व्यक्ति आज डीपीसी महोदय के कार्यालय में किस आधार पर कार्य कर रहा है, वो प्रतिनियुक्ति पर नहीं है। समाचार पत्रों में डीपीसी महोदय का प्रवक्ता बन कर बैठ है। जिसको निलंबित किया था आज उसके बगैर डीपीसी निरिक्षण करने नहीं जाते है। डीपीसी महोदय ने कई अटैचमेंट समाप्त कराये हैं और वो ही अपने ऑफिस में अटैचमेंट किये हुए है।

एक चुनौती DPC के नाम
एक और बात शिवपुरी में भी कई विद्यालयों में बाहुबली बैठे हुए है जो किसी डीपीसी से नहीं डरते उनके मोबाइल पर पिछले 2 वर्षों में आपके ऑफिस की घंटी क्यों नहीं बजी।


  • महोदय से न्याय की उम्मीद है कृपया मेरा नाम सार्वजानिक ना करें।

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