भोपाल। शहर में कुल 800 अवैध हॉस्टल्स हैं, इनमें से 500 ऐसे हैं जिनमें इंसान तो क्या पालतु कुत्ते भी रहने से इंकार कर दें। थोड़ा सा किराया कम करके स्टूडेंट्स को जानवरों की तरह ढूंस दिया गया है। एक कमरे में 8-8, पपड़ी गिराती दीवारें, सीलन से गली हुईं। गंदे चादर और एक बदबू मारता हुआ बाथरूम।
ये हॉस्टल चोरी छिपे नहीं चल रहे बल्कि एमपी नगर जैसी प्राइम लोकेशन पर हैं। अवैध रूप से 800 से अधिक ऐसे हाॅस्टल चल रहे हैं, जिनमें सरकार के नियमों का पालन नहीं किया जा रहा। मानवाधिकार आयोग ने शहर के हॉस्टलों के खिलाफ आई शिकायतों पर संज्ञान लेकर नियम विरुद्ध चलाए जा रहे हॉस्टलों के खिलाफ कार्रवाई करने की सिफारिश शासन से की है।
- ये हैं आयोग की प्रमुख सिफारिशें
- हॉस्टल का रजिस्ट्रेशन एसडीएम के पास हो। यह स्पष्ट हो कि वह छात्राओं के लिए संचालित है या कामकाजी महिलाओं के लिए।
- वहां रहने वालों का नाम, पता, फोन नंबर, व्यवसाय, शिक्षण संस्था का नाम आदि का रजिस्टर मेंटेन किया जाए। इसमें उनका फोटो आईडी भी हो। उनके साथ ही स्टाफ और उनके लोकल गार्जियन का पुलिस वेरिफिकेशन भी कराया जाए। रजिस्टर हर महीने की पांच तारीख को एसडीएम के सामने पेश किया जाना जरूरी है।
- हॉस्टल का नक्शा, संचालक मंडल की जानकारी, किराया दर आदि की जानकारी निर्धारित प्रोफार्मा में होना अनिवार्य।
- वहां अग्निशामक यंत्र ,सीटीवी कैमरे, सुरक्षा गार्ड, वार्डन, गर्ल्स हाॅस्टल में महिला वार्डन अनिवार्य। रात को जरूरत पड़ने पर लड़कियों के लिए गाड़ी की व्यवस्था करना भी आवश्यक है।