मंदसौर। आईआईटी में प्रयास किया तो सिलेक्ट नहीं हो सका। पीईटी से दाखिला हो पाया और रायपुर में मैकेनिकल ब्रांच के साथ 4 साल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। 2003 में मेरे गुरु शर्मा सर ने कहा आईएएस की तैयारी करो। दिन-रात एक कर मेहनत की। कई प्रतियोगी परीक्षाएं दीं। सिविल सर्विस एग्जाम फेस की, इस दौरान पिता काे किडनी प्रॉब्लम हुई, मां को कैंसर हो गया। मैं डिस्टर्ब हुआ, टेंशन में रहा। सोचा प्रॉब्लम तो जिंदगीभर चलेगी। मैंने माता-पिता की सेवा की और पढ़ाई भी जारी रखी। असफलता के दौर में कई परीक्षाएं दीं।
2004-05 में आईओसीएल ज्वाइन किया। इसके बाद इंजीनियरिंग सर्विस सिलेक्शन हो गया। जिंदगी में मूव आया, मनीष गांगरेकर सर ने कहा स्वतंत्र तुम्हारे मन में कसक रहेगी, आईएएस का लास्ट अटेंप्ट कर दो तो मैंने कर दिया। इस बीच मैं पैरेंट्स खो चुका था (यह कहते हुए कुछ पल आंखें भर आई)। रिजल्ट आया तो ऑल इंडिया लेवल पर 37वीं रैंक रही। बस यही मेरी जिंदगी की कहानी है...।
स्वतंत्रकुमार सिंह, कलेक्टर