मुजफ्फरपुर/बिहार। मुंबई सीरियल बम ब्लास्ट के दोषी याकूब मेनन को दी गई फांसी पर सवाल उठाने वाले दिग्विजय सिंह, शशि थरूर और एआईएमआईएम के नेताओं को अब जेल की हवा खानी पड़ सकती है।
इस मामले में कांग्रेस के दो बड़े नेता दिग्विजय सिंह और सांसद शशि थरूर के अलावा, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष और सांसद अलाउद्दीन ओवैसी और एआईएमआईएम के महाराष्ट्र से विधायक वारिश पठान के खिलाफ हाजीपुर के सिविल कोर्ट में शुक्रवार को परिवाद दायर किया गया।
इस मामले में 10 अन्य लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया है। सिविल कोर्ट के अधिवक्ता राजीव कुमार शर्मा का कहना है कि नेताओं के ये बयान सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है। इसी के तहत उन्होंने सीजीएम कोर्ट में मुकदमा दायर किया है। यदि न्यायालय ने इसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना माना तो यह स्वत ही भारत के राष्ट्रपति की अवमानना का मामला बन जाएगा। यह देश के खिलाफ अभियान चलाने का मामला भी हो सकता है और इस मामले में आरोपियों को जेल में भी डाला जा सकता है। ऐसे लोग जो भारत के कानून और सर्वोच्च संस्थाओं के निर्णय पर सार्वजनिक रूप से विरोध जताएं, लोकतंत्र के लिए खतरा माने जाते हैं। भारत में व्यवस्था यह है कि यदि आप न्यायालय के निर्णय से असहमत हैं तो सक्षम न्यायालय के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत करें। इस तरह सार्वजनिक टिप्पणियों की अनुमति भारत का कानून नहीं दे सकता।