पुराने पेटर्न पर लौटा शिक्षा विभाग: पुराने तरीकों से होगी पढ़ाई

भोपाल। 80 के दशक में मप्र की स्कूली शिक्षा का लोहा पूरा देश मानता था। धीरे धीरे उच्च अधिकारियों ने पढ़ाई के तरीके बदलने शुरू कर दिए और शिक्षा का स्तर गिरता चला गया, लेकिन अब शिक्षा विभाग वापस पुराने पेटर्न पर लौटता दिख रहा है। विभाग चाहता है पढ़ाई का तरीका कुछ भी हो, परिणाम बेहतर होना चाहिए।

स्कूलों में 1980 के दशक में जैसी पढ़ाई होती थी, ठीक वैसे ही नजारे देखने को मिलेंगे। शिक्षक गिनती सिखाने के लिए पट्टी पहाड़ा नहीं। मिट्टी लाने को कहेंगे। उससे गुल्ली या अन्य कुछ बनवाएंगे और गिनती कराएंगे। वैसे तो अभी इसे लिखा पढ़ी में नहीं लाया गया है, लेकिन अधिकारियों के मनोभाव यही हैं। वे चाहते हैं कि शिक्षक हर वह प्रयोग करे, जिससे बच्चों को निर्धारित दक्षता हासिल करने में मदद मिले। स्कूल शिक्षा विभाग ने विषय वार और माह वार दक्षता का चार्ट भी जारी कर दिया है।

जिसके तहत बच्चे की हर माह की दक्षता निर्धारित कर दी गई है। कुल नौ माह में उसे लर्निंग इंडिकेटर्स के मुताबिक दक्ष कर दिया जाएगा। विभाग ने सभी विषयों के लर्निंग इंडिकेटर्स तैयार किए हैं। उल्लेखनीय है कि राज्य में हर कक्षा के लिए निर्धारित पाठ्यक्रम है, जिसकी राज्य शिक्षा केंद्र से जारी निर्देशों के मुताबिक पढ़ाई कराई जाती है, लेकिन बच्चों की कक्षावार दक्षताएं तय नहीं थीं।

इसी सत्र से लागू
नई व्यवस्था वर्तमान शैक्षणिक सत्र से लागू कर दी गई है। प्रदेशभर के स्कूलों को पहले माह के लर्निंग इंडिकेटर्स भेज दिए गए हैं। शिक्षकों से अपेक्षा की गई है कि वे इसी माह से नई व्यवस्था के मुताबिक पढ़ाई कराएं। जबकि अगले माह से लर्निंग इंडिकेटर्स के मुताबिक पढ़ाई कराना अनिवार्य होगा।

पांचवीं और आठवीं की दक्षताएं
पांचवीं : राज्य शिक्षा केंद्र के मुताबिक बच्चे को पहले माह एक करोड़ तक की संख्या को पहचानना, उसे अंकों और शब्दों में लिखना, 10 लाख तक स्थानीमान व विस्तारित रूप में लिखना और उसका बढ़ता-घटता क्रम बताना आना चाहिए। जबकि नौवें माह में बच्चे को क्षेत्र की गणना करना, मूल ज्यामिति अवधारणा की समझ, कोण-समकोण-न्यूनकोण एवं अधिककोण की जानकारी, त्रिभुज की समझ, त्रिभुज के गुणधर्म एवं त्रिभुज के तीनों कोणों का योग 180 अंश हो, इसका क्रियाकलाप द्वारा सत्यापन करना और समपित व असमपित आकृतियों को परिवेश में पहचानना आना चाहिए।

आठवीं : इस कक्षा के बच्चों को पहले माह में वर्ग की समझ, पूर्ण वर्ग बनाना एवं वर्गमूल, दशमलव पूर्ण संख्याओं का भाग विधि से वर्गमूल आना चाहिए। ऐसे ही नौवें माह में सांख्यिकी, बारंबारता, बंटन सारणी, मिलान चिन्ह, वर्ग अंतराल, उच्च एवं निम्न सीमा, आयत चित्र, आकड़े, परिसर, आरोही-अवरोही क्रम, समान्तर माध्य निकालना आना चाहिए।

मॉनीटरिंग भी होगी
अधिकारियों द्वारा दिए गए काम को शिक्षक कितना कर पा रहे हैं। इसकी लगातार मॉनीटरिंग होगी। विभाग मॉनीटरिंग की रूपरेखा तय कर रहा है। सूत्र बताते हैं कि विभाग प्रतिभा पर्व के तहत दो परीक्षाएं लेगा, जिसमें बच्चों से एक ही सवाल कई तरीके से पूछा जाएगा। यह परीक्षा तय करेगी कि शिक्षकों ने बच्चों को कितना समय दिया और बच्चे निर्धारित दक्षता पूरी करने में कितने सफल रहे हैं।

आशीष श्रीवास्तव, आयुक्त, राज्य शिक्षा केंद्र ने कहा
पढ़ाने के तरीके को भी रुचिकर बना रहे हैं और लर्निंग इंडिकेटर्स भी तय कर दिए हैं। इससे यह तय होगा कि संबंधित कक्षा में पढ़ने वाले बच्चे को कम से कम इतना तो आता ही है।

  • इनपुट: मनोज तिवारी, पत्रकार नवदुनिया, भोपाल


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