सरकार के गाल पर तमाचा: ग्रामीणों ने चंदा कर बना डाला इतना बड़ा पुल

चंडीगढ़। यहां 11 गावों के ग्रामीणों ने मिलकर सरकार के गाल पर जोरदार तमाचा जड़ा है। हर देहरी पर नाक रगड़ने के बाद भी सरकार ने इन ग्रामीणों की एक पुल बनाने की मांग पूरी नहीं की। कहते थे, बहुत पैसा खर्च होगा, बजट नहीं है। ग्रामीणों ने खुद मिलकर मात्र 1 करोड़ रुपए में यह पुल बना डाला। सरकार से चवन्नी भी नहीं ली। अब उद्घाटन करने जा रहे हैं, सरकार की मक्खी को भी इनवाइट नहीं किया।

इन गांवों के लोग घग्गर नदी के ऊपर पुल बनाने की मांग कर रहे थे। जब नेताओं और अफसरों ने इनकी बात नहीं सुनी तो इन्होंने खुद ही अपनी समस्या सुलझाने का फैसला कर लिया। साथ मिल कर लोगों ने कुल एक करोड़ रुपए इकट्ठा किए और इन पैसों से 250 फुट लंबा और 14 फुट चौड़ा पुल बना लिया। यह पुल अलीका और पनिहारी गांवों को जोड़ता है।

इस पुल का काम अप्रैल 2014 में शुरू हुआ था और अब यह पुल बनने के बिल्कुल करीब है। पुल को बनाने और इसकी देखरेख करने वाली 25 सदस्यों की कमेटी ने स्थानीय संत महंत ब्रह्म दास से इसका उद्घाटन करने की आग्रह किया है। पूरी तरह तैयार होने के बाद यह पुल 1.25 लाख लोगों की मदद के लिए तैयार हो जाएगा। इससे गांवों से सिरसा की दूरी 30 किमी तक कम हो जाएगी। इन गांव वालों के लिए पंजाब जाना भी आसान हो जाएगा।

पनिहारी गांव के हरदेव सिंह बताते हैं, 'पुल का उद्घाटन करने के लिए हमारे गांव में किसी भी नेता या अफसर के लिए कोई जगह नहीं है। देवी लाल से लेकर मनोहर लाल खट्टर तक, हमनें सबके सामने अपनी समस्या रखी। सिरसा के सांसद चरनजीत सिंह और पूर्व मंत्री गोपाल कांडा ने ही हमारे काम के लिए अपने फंड से क्रमश: एक लाख और साढ़े पांच लाख रुपए दिए। इसके अलावा किसी ने मदद नहीं की।'

अलीका गांव के मेजर सिंह कहते हैं, 'राजस्थान जाते समय हमें हनुमानगढ़ में एक इंजिनियर मिले जो सरकारी पुलों के निर्माण का निरीक्षण करते हैं। उनसे लागत की बात करने के बाद हमनें खुद ही पुल बनाने का फैसला लिया।'

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