जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने डीमेट घोटाले की सीबीआई जांच की मांग करने वाले रतलाम के पूर्व विधायक पारस सकलेचा को निर्देश दिया है कि वे अपनी जनहित याचिका में राज्य के निजी मेडिकल-डेंटल कॉलेजेस के संघ एपीडीएमसी को भी पक्षकार बनाएं। इसी के साथ मामले की अगली सुनवाई 8 जुलाई को निर्धारित कर दी गई। शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश अजय माणिकराव खानविलकर व जस्टिस केके त्रिवेदी की युगलपीठ में मामले की सुनवाई हुई।
इस दौरान जनहित याचिकाकर्ता रतलाम के पूर्व विधायक पारस सखलेचा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आदर्शमुनि त्रिवेदी ने पक्ष रखा। बहस के दौरान हाईकोर्ट ने पाया कि इस मामले में राज्य के निजी मेडिकल-डेंटल कॉलेजेस के संघ एपीडीएमसी को आवश्यक पक्षकार बनाया जाना चाहिए। लिहाजा, इस संबंध में जनहित याचिकाकर्ता को संशोधन आवेदन प्रस्तुत करने कह दिया गया।
जनहित याचिकाकर्ता को सौंपें दस्तावेज
इस मामले में अधिवक्ता श्याम यादव के जरिए एक हस्तक्षेप अर्जी दायर की गई। हाईकोर्ट ने उस पर गौर करने के बाद दिशा-निर्देश दिया कि हस्तक्षेप अर्जीकर्ता अपने तमाम दस्तावेज व सबूत आदि जनहित याचिकाकर्ता को सौंप दे। ऐसा इसलिए ताकि वह जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान अपेक्षाकृत मजबूती से पक्ष प्रस्तुत कर सके।
गड़बड़ी की बात स्वीकारी
हाईकोर्ट के पूर्व नोटिस के जवाब में प्रवेश एवं फीस निर्धारण समिति की ओर से अपना जवाब पेश किया गया। उसमें स्वीकार गया कि राज्य के निजी मेडिकल-डेंटल कॉलेजों में सीटों के नाम पर गड़बड़ी तो हुई है। जितनी शिकायतें प्राप्त हुईं उन पर कार्रवाई की गई। लेकिन जो शिकायतें सामने नहीं आईं उन पर कार्रवाई संभव नहीं हुई। हालांकि कुछ मामले हाईकोर्ट से भी निराकृत हुए।