मप्र की 1 लाख महिला कर्मचारी संकट में: तलाक लें या नौकरी छोड़ें

भोपाल। मप्र संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने आज मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को ज्ञापन सौंपकर मांग की है कि जिस तरह से पटवारी महिला कर्मचारियों को जिला कैडर होने के बाद भी उनको स्थानांतरण की सुविधा मिली है उसी तरह प्रदेश में एक लाख महिला संविदा कर्मचारियों के लिए भी लागू की जानी चाहि।

प्रदेश में दो लाख संविदा कर्मचारी अधिकारी, कर्मचारी विभिन्न विभागों और उनकी परियोजनाओं में संविदा पर कार्य कर रहे हैं। उनमें एक लाख के लगभग महिला संविदा कर्मचारी हैं। उनकी स्थानातरण नीति नहीं होने के कारण यह स्थिति निर्मित हो गई है कि या तो वो पति को छोड़े या नौकरी।

आए दिन उनके पति और सुसराल पक्ष के लोग महिला को नौकरी छोड़ने के लिये दबाव बनाते हैं कि आकर परिवार और बच्चे सम्भालों। अनेक परियोजनाओं में तो उनको प्रसूति अवकाश ही नहीं दिया जाता जबकि सरकार में मजदूरों तक को प्रसूति अवकाश का भुगतान कर्मकार कल्याण मण्डल के द्वारा किया जाता है।

अनेक विभागों की परियोजनाओं में संविदा कर्मचारियों को प्रसूति अवकाश दिया जाता है तो वो भी तीन माह का जबकि शासन के द्वारा 6 माह का निर्धारित है।  महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने मांग की है कि चाहे महिला नियमित हो या संविदा पर सभी महिला कर्मचारियों को स्थानातरण की नीति एक समान हो और उनको अपने परिवारिक दायित्वों का निर्वाहन करने के लिए स्थानातरण की सुविधा मिले है। महिला के साथ संविदा और नियमित का भेदभाव नहीं किया जाए स्थानातरण में समानता का व्यवहार किया जाए और समान नीति बनाई जाए।

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