भोपाल। अंतत: देश के प्रख्यात वकील रामजेठमलानी की दलीलों के आगे एसटीएफ के वकील टिक नहीं पाए और हाईकोर्ट ने राज्यपाल रामनरेश यादव के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करने के आदेश जारी कर दिए। ये उनके लिए बड़ी राहत की खबर है लेकिन राहत उस वक्त मिली जब उनका बेटा इस दुनिया में नहीं रहा।
रामनरेश यादव के खिलाफ एसटीएफ ने मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) के तहत फॉरेस्ट गॉर्ड भर्ती घोटाले से जुड़े मामले में 24 फरवरी, 2015 को एफआईआर दर्ज की थी। उसके बाद 9 मार्च को राज्यपाल ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई। उनकी याचिका में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 361 (2) का हवाला देकर कहा गया था कि राष्ट्रपति या राज्यपाल के पद पर आसीन व्यक्तियों के खिलाफ कार्यकाल पूरा होने से पहले किसी भी प्रकार का केस दर्ज नहीं किया जा सकता है। राज्यपाल की ओर से दलील दी गई कि डेढ़ साल से जेल में बंद आरोपी के कथित बयानों के आधार पर उनके खिलाफ राजनीतिक दबाव में यह एफआईआर की गई थी। 9 मार्च को होने वाली सुनवाई पहले 24 मार्च, उसके बाद 25 मार्च और बाद में 8 अप्रैल तक के लिए टाली गई थी।
गौरतलब है कि 25 मार्च को ही राज्यपाल के बेटे शैलेश यादव की संदिग्ध हालत में लखनऊ के सरकारी आवास में मौत हो गई थी। वे संविदा शाला शिक्षक भर्ती-2 में आरोपी बनाए गए थे।