व्यापमं से जुड़ी खबरों पर हाईकोर्ट की नजर

ग्वालियर। व्यापमं मामले में हाईकोर्ट अब रिलेटेड खबरों पर भी नजर रख रहा है। पिछले दिनों अखबारों में छपी खबर 'सॉल्वरों के खुलासे के बाद डॉक्टरों पर नहीं किया केस दर्ज' पर हाईकोर्ट की युगल पीठ ने तीखी टिप्पणी करते हुए एसआईटी को लताड़ लगाती।

हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि एसआईटी कैसे काम कर रही है, इस पूरी कार्यशैली पर हमारी नजर है। जो आरोपी हैं, उन्हें एसआईटी ने छोड़ दिया है। वह पिक एंड चूज तरीके से काम रह रही है। ऐसा ही रवैया रहा तो एसआईटी प्रभारी को कोर्ट में बुलाया जाएगा।

हाईकोर्ट ने गुरुवार को पीएमटी कांड के आरोपियों की जमानत पर सुनवाई की। गब्बर सिंह ने अपनी भांजी का कन्यादान करने के लिए अंतरिम जमानत मांगी थी। कोर्ट ने कन्यादान के लिए गब्बर सिंह को अंतरिम जमानत प्रदान की। शेष आरोपियों की जमानतों की सुनवाई गर्मी की छुट्टियों के बाद निर्धारित कर दी। इसी सुनवाई के बीच में हाईकोर्ट ने एसआईटी के उस मामले को संज्ञान में लिया, जिसमें सॉल्वरों ने डॉ. भीमराव अंबेडकर पॉलिटेक्निक महाविद्यालय में 6 डॉक्टरों की जगह परीक्षा देने का खुलासा किया था, लेकिन एसआईटी ने इन 6 डॉक्टरों पर केस दर्ज नहीं किया था। इस पूरे मामले को लेकर हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि अगर एसआईटी का रवैया ऐसा ही रहा तो प्रभारी को कोर्ट में बुलाएंगे और इस संबंध में पूरी जानकारी ली जाएगी।

इन नामों का हुआ था खुलासा
5 जुलाई 2009 को धीरेन्द्र ने दिनेश कुमार के नाम से, कृष्ण कुमार ने मलखान सिंह के नाम से, मुकेश कुमार ने कुलदीप पवैया के नाम से, अनिल कुमार ने राजीव कुमार के नाम से, अतुल ने अरविंद सिंह के नाम से और रामकिशोर ने रविकांत दोहरे के नाम से पीएमटी दी थी। इन सभी ने डॉ. भीमराव पॉलिटेक्निक महाविद्यालय में पीएमटी दी थी। सॉल्वरों को तो पुलिस ने आरोपी बना दिया था, लेकिन जिनको पीएमटी में पास कराया गया, उन डॉक्टरों पर अब तक केस दर्ज नहीं किया गया है।

गुलाब सिंह व डॉ. श्रीवास्तव के केस पर भी खड़े किए थे सवाल
हाईकोर्ट ने गुलाब सिंह व डॉ. बीआर श्रीवास्तव पर हुई एफआईआर को लेकर भी सवाल खड़े किए थे। एसआईटी से इस संबंध में कोर्ट में जवाब भी मांगा गया था। एसआईटी द्वारा दिया गया जवाब लिफाफे में बंद है।

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