राकेश दुबे@प्रतिदिन। फूड ऐंड ऐग्रिकल्चरल ऑर्गनाइजेशन इसी सप्ताह प्रकाशित हुई रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में इस समय भूखे लोगों की तादाद लगभग 7,950 लाख है, जिनमें से एक चौथाई भारत में रहते हैं है।रिपोर्ट में बताया गया कि भारत में 1,946 लाख लोग कुपोषण के शिकार हैं, जो भारत की कुल जनसंख्या के 15.2 फीसदी है। 1990-1992 में भारत में कुपोषितों की तादाद लगभग 2,101 लाख थी। चीन में कुपोषितों की संख्या 1,338 लाख है, जो 2014-16 की चीन की कुल जनसंख्या के 9.3 फीसदी हैं।
1990-92 में चीन में कुपोषितों की तादाद 2,890 लाख थी।भारत 1990-92 से 2014-16 के बीच अपने यहां कुपोषितों की संख्या में 36 फीसदी की कमी लाने में कामयाब रहा। वहीं, चीन ने इतने ही समय में कुपोषितों की तादाद 60.9 फीसदी तक कम कर ली है। रिपोर्ट के मुताबिक, 'भारत में जारी हुए खाद्य वितरण कार्यक्रम के सकारात्मक परिणाम मिले। हालांकि, भारत हायर इकनॉमिक ग्रोथ को हायर फूड कंजंप्शन में बदलने में नाकाम रहा। यह साबित करता है कि ओवरऑल ग्रोथ से भूखों को कोई फायदा नहीं हुआ।'
रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में 7,950 लाख लोग कुपोषित हैं। पिछले एक दशक के मुकाबले इस संख्या में 1,670 लाख और दो दशक के मुकाबले 2,160 लाख की कमी आई है। इस दौरान पूरे विश्व की जनसंख्या 1.9 फीसदी बढ़ी है, जबकि कुपोषितों की संख्या में 21.4 फीसदी की गिरावट आई है। सर्वे की निगरानी में आने वाले 129 में से 72 देशों ने यूएन के मिलेनियम डिवेलपमेंट गोल्स के तहत 2015 तक कुपोषितों की आबादी को आधा करने का लक्ष्य पा लिया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, 'ओवरऑल प्रोगेस के बावजूद कुपोषण हमारे लिए चुनौती बना हुआ है और दुनिया भर में 7,950 लाख लोग कुपोषण के शिकार हैं। इनमें से 7,850 लाख लोग डिवेलपिंग क्षेत्रों से हैं। ऐसे में नीति-निर्माताओं की प्राथमिकता लोगों को भूख से निजात दिलाना होनी चाहिए।' रिपोर्ट में यह भी कहा गया, 'हमें अपने उद्देश्य को असलियत में बदलने के लिए अभी बहुत काम करना है।'
यूएन की रिपोर्ट के मुताबिक भारत 2015 तक कुपोषितों की संख्या को आधा करने के लक्ष्य को हासिल करने में नाकाम रहा। एफएओ ने पाया कि लक्ष्य को हासिल करने की भारत की गति बहुत धीमी है। कुपोषण का सबसे ज्यादा बोझ दक्षिणी एशिया में है।रिपोर्ट के मुताबिक, 'कुपोषितों की संख्या में कमी लाने में बांग्लादेश और नेपाल ने भारत से काफी बेहतर प्रदर्शन किया। 1990-92 से अब तक नेपाल में कुपोषितों की संख्या में 65.6 फीसदी और बांग्लादेश में 49.9 फीसदी की कमी आई है।'पाकिस्तान और श्रीलंका का प्रदर्शन भारत से भी कमजोर रहा।
1990-92 से अब तक पाकिस्तान में कुपोषितों की संख्या में 12.4 फीसदी और श्रीलंका में 28.3 फीसदी की कमी आई। मिलेनियम डिवेलपमेंट के 2015 तक कुपोषितों की संख्या को आधा करने के लक्ष्य को भारत पूरा नहीं कर सका, जबकि नेपाल, बांग्लादेश और मालदीव इसमें सफल रहे।
रिपोर्ट में लिखा गया है कि कुपोषितों की संख्या को आधा करने के लक्ष्य को चीन ने पूरा कर लिया है। भारत की स्थिति देखते हुए लग रहा है कि वह 2020 तक भी अपने लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाएगा।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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