शिवराज से निराश होकर लौट गईं पदयात्री विधवाएं | आंदोलन अब भी जारी है

भोपाल। बिजली कर्मचारियों की विधवाएं एवं आश्रित परिवार 340 किलोमीटर की पदयात्रा करके ​भोपाल पहुंचे। लक्ष्य सिर्फ एक था, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिलकर उन्हें अपना दर्द बयां कर सकें, लेकिन सीएम ने उनसे मिलना मुनासिब ही नहीं समझा। वो 17 दिन तक भोपाल में पड़ीं रहीं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नंदूभैया ने उन्हें आश्वास भी दिया कि शिवराज से मिलाएंगे लेकिन बाद में मुकर गए। अंतत: दुखी आश्रित परिवार वापस जबलपुर लौट गए।

जबलपुर 786 दिन का धरना देने के बाद भोपाल में सीएम के सामने गुहार लगाने पैदल मार्च किया जबलपुर से भोपाल का 340 किलोमीटर का सफर पैदल तय किया महिला-पुरूष हर कोई इसमें शामिल हुए 17 दिन भोपाल में डटे रहे शायद मुख्यमंत्री उनके मिलने का वक्त दें, लेकिन इनका दर्द किसी जनप्रतिनिधि ने नहीं समझा मजबूरन सोमवार को घर वापस लौट आए।

मप्र विद्युत मंडल अनुकंपा आश्रित संघर्ष दल के असगर खान ने बताया कि अनुकंपा आश्रितों की सुनवाई करने वाला कोई नहीं है। शक्ति भवन के सामने लगातार आंदोलन किया जा रहा है इस बीच कई नेताओं ने शासन से बातचीत का भरोसा दिया, लेकिन समस्या का समाधान अभी तक नहीं हुआ। मृतक कर्मचारियों के बच्चे, महिलाएं इस आंदोलन में शामिल होकर भोपाल गए पैरों में छाले पड़ गए। इसके बावजूद भाजपा के नेताओं को गरीबों का दर्द नहीं समझ आया दल के विकास गूजर, अशोक बुनकर, शिवेन्द्र सोंधिया आदि ने कहा कि मांगें पूरी होने तक अनुकंपा आश्रितों का आंदोलन जारी रहेगा।

बोझिल मन से खाली हाथ लौटे अनुकंपा आश्रित, सीएम से मुलाकात तक न हो पाई
जबलपुर। 340 किमी की पैदल यात्रा का जिस वक्त ख्याल आया था, कई दिल सहम गए थे। कुछ के लिये यह किसी बड़ी तपस्या से कम नहीं था, लेकिन उम्मीद भी इस बात की थी कि हर हाल में उनकी मुराद पूरी होगी और मुख्यमंत्री के दरबार से खाली हाथ नहीं लौटना पड़ेगा। तकरीबन आधा महीना भोपाल में गुजारने के बाद भी अनुकंपा आश्रितों की आस पूरी होना तो छोड़ो सीएम के दर्शन तक दूभर हो गए। पूरी तरह से निराश अनुकंपा आश्रित महिलाएं और मासूम बच्चे वापस लौट आए हैं।

जबलपुर से 25 मार्च को भोपाल के लिये रवाना हुआ अनुकंपा आश्रितों का दल वैसे तो 13 अप्रैल को राजधानी पहुंच गया था, एक-एक दिन करके आश्रितों ने 17 दिन गुजार दिए, लेकिन मुख्यमंत्री से मुलाकात तक नहीं हो पाई। दल के संयोजक असगर खान ने बताया कि शायद ही कोई ऐसा दफ्तर रहा होगा, जहां माथा न रगड़ा गया हो।

आखिर में सीएम निवास पहुंचे - रैन बसेरा में अनेक दिन काटने के बाद अनुकंपा आश्रित सीधे सीएम निवास पहुंच गए। अधिकारियों के आगे आरजू-मिन्नतें कीं, लेकिन सुनवाई नहीं हो सकी। विधवा महिलाएं और बच्चों ने वापस आने में ही बेहतरी समझी। दल में शामिल कीर्ति सैनी, राधा ठाकुर, पार्वती ितवारी, सुशीला मेहरा, विकास गूजर, सचिन कुमार नामदेव, जय कुमार यादव, देवेंद्र शर्मा, सचिन दुबे ,जगल किशोर विश्वकर्मा, अशोक बुनकर, रत्नेश खटीक िशवेन्द्र का कहना है कि सत्ता का गुरूर ज्यादा दिन चलने वाला नहीं है।

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