भोपाल। शिक्षक को गुणवान बनना पड़ेगा। समाज से जुड़ना पड़ेगा। सामाजिक सरोकारों में आगे रहना पड़ेगा, तब कहीं शिक्षक के सम्मान में सुधार आएगा। यह बात 'शिक्षक और समाज' विषय पर आयोजित परिसंवाद में सामने आई। यहां शिक्षकों के घटते सम्मान पर शिक्षाविद्, कर्मचारी संगठन और स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बैठक में मंथन किया और खोते सम्मान को पुनर्स्थापित करने के तरीके सुझाए।
शिक्षक संदर्भ समूह और एड एट एक्शन संस्था ने संयुक्त रूप से परिसंवाद का आयोजन किया। कार्यक्रम में शिक्षाविद् शरदचंद्र बेहार, प्रो. रमेश दवे, संचालक लोक शिक्षण राजेश जैन, बाल साहित्यविद् डॉ. परशुराम शुक्ल, कैलाश श्रीवास्तव और मप्र राज्य कर्मचारी संघ के अध्यक्ष जितेन्द्र सिंह शामिल हुए। दो पक्षों में बंटे अतिथियों ने अपने-अपने तर्क रखे। एक पक्ष ने कहा कि सम्मान में गिरावट के लिए शिक्षक खुद जिम्मेदार हैं। जबकि दूसरे पक्ष का तर्क था कि सरकार शिक्षकों से शिक्षा के अलावा अन्य कार्य कराती है। जिससे उनके सम्मान में कमी आ रही है। परिसंवाद के अंत में शिक्षाविद् श्री बेहार ने कहा कि शिक्षक को अपनी योग्यता प्रदर्शित करने का मौका ही नहीं मिल रहा है। उन्हें यह मौका देकर तो देखो। शिक्षा का औपचारिक मान लेने से काम नहीं चलने वाला है।