फिर से होगी पीएमटी परीक्षा!

नईदिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि 2015-16 की अखिल भारतीय प्री-मेडिकल परीक्षा फिर से कराना ही ‘अंतिम उपाय’ है। न्यायालय ने हरियाणा पुलिस से कहा कि इस परीक्षा में बड़े पैमाने पर अनियमिताओं से लाभान्वित होने वालों का पता लगाया जाए। 

न्यायमूर्ति एके सीकरी और न्यायमूर्ति उदय यू ललित की अवकाशकालीन खंडपीठ ने एआईपीएमटी की परीक्षा फिर से कराने की संभावना से इनकार नहीं किया है जैसा कि कुछ अभिभावकों की मांग है. परंतु न्यायाधीशों ने कहा ‘हम खुले दिमाग से विचार कर रहे हैं. हम इस बारे में निर्णय करेंगे. जहां तक फिर से परीक्षा कराने का सवाल है तो सिर्फ यही अंतिम उपाय है.’ न्यायालय ने हरियाणा पुलिस के विशेष जांच दल से कहा कि इस परीक्षा में हुई कथित अनियमितताओं से लाभान्वित होने वालों की सही संख्या का पता लगाया जाए ताकि दागियों को अलग किया जा सके.

न्यायालय ने अन्य राज्यों की प्रवर्तन एजेंसियों और मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियों को निर्देश दिया कि वे इस मामले की तहकीकात में हरियाणा पुलिस की मदद करें. न्यायालय ने इसके साथ ही इस मामले की सुनवाई 26 मई के लिए स्थगित कर दी. इस मामले की सुनवाई के दौरान न्यायाधीशों ने टिप्पणी की ‘छह लाख लोगों को फिर से परीक्षा में शामिल होने के लिए क्यों कहा जाए. हमें लाभान्वित होने वालों की सही संख्या का पता लगाना चाहिए.’

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की ओर से पेश अतिरिक्त सालिसीटर जनरल मनिन्दर सिंह ने कहा कि हमें इस समस्या को बढ़ाना नहीं चाहिए और असली मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए. न्यायालय को यह ध्यान रखना चाहिए कि इस परीक्षा में छह लाख छात्रों ने हिस्सा लिया था. इस पर न्यायाधीशों ने कहा कि हम इस तथ्य के प्रति सजग हैं.

इस बीच, हरियाणा पुलिस ने भी इस मामले में अब तक की जांच के बारे में प्रगति रिपोर्ट पेश की और कहा कि इस सिलसिले में अब तक छह व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है. एक अधिकारी ने न्यायालय को बताया कि तीन मई को सुबह करीब 11 बजे, परीक्षा के दौरान ही  पुलिस को सूचना मिली थी कि कुछ डाक्टर प्रश्न पत्र लीक कर रहे हैं.

इस अधिकारी ने बताया कि बाद में विभिन्न राज्यों में 75 मोबाइल फोन से 123 प्रश्नों की आंसर कीज संप्रेषित की गई. ये फोन बिहार, झारखण्ड, राजस्थान और हरियाणा जैसे राज्यों में किए गए थे. इस परीक्षा से एक दिन पहले ही खरीदे गए सिम कार्डस परीक्षा संपन्न होने के बाद बंद कर दिए गए. करीब 700 छात्रों को देश के विभिन्न परीक्षा केंद्रों में इलेक्ट्रानिक तरीके से जवाब उपलब्ध कराए गए थे.

इसके बाद ही न्यायालय ने कहा कि मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियां लाभान्वित होने वाले व्यक्तियों की पहचान करने में मदद कर सकती हैं. न्यायालय ने जानना चाहा कि इससे लाभान्वित होने वालों का पता लगाने के लिए आपको कितना वक्त चाहिए. न्यायालय ने इस तरह की अनियमिताओं पर अप्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि आपको (सीबीएसई) जैमर लगाने होंगे. आप छात्रों में व्याप्त हताशा के स्तर की कल्पना कीजिए. इस पर सिंह ने कहा कि कानून तोड़ने वाले हमेशा ही कानून बनाने वालों से आगे रहते हैं.

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