पढ़िए शिक्षा विभाग में अतिशेष की राजनीति

सुनील दाहिया/जबलपुर। जिलेभर में 350 से अधिक स्कूलों में पदस्थ शिक्षक, अध्यापक स्कूलों में दर्ज छात्र संख्या के हिसाब से खंगाले गए तो करीब 365 अतिशेष शिक्षक, अध्यापक और व्याख्याता ऐसे निकले जो छात्र संख्या के मान से नहीं थे। इस प्रक्रिया को शिक्षा विभाग की भाषा में युक्तियुक्तकरण कहा जाता है। ये शिक्षा विभाग की ऐसी रस्म है जो हर साल हो हल्ले के साथ निभाई तो जाती है, लेकिन अगले साल सूची में फिर इतने ही अतिशेष निकल आते हैं, क्योंकि इस रस्म के बाद सांसद, विधायक, मंत्री, अफसरों की चिट्ठियां चलती हैं और अतिशेष का आंकड़ा फिर वहीं आकर थम जाता है जहां से ये शुरू हुआ था।

जानिए कैसे बदलते हैं अतिशेष की परिभाषा
सरकारी दफ्तरों में यूं तो अतिशेष का अर्थ स्वीकृत पदों से अधिक की नियुक्ति होता है, लेकिन शिक्षा विभाग में अतिशेष का मतलब उन शिक्षक, व्याख्याताओं से है जो उच्चाधिकारी या नेताओं की सिफारिश से स्कूल व विभागों में आ जमें हैं। इनमें से कुछ ऐसे भी है जो विभाग की ऐसी जरूरत बन गए हैं जिन्हें विभाग चाह कर भी युक्तियुक्तकरण के दायरे में लाकर इधर से उधर नहीं कर सकता।

हेड मास्टर, लेक्चरर कर रहे शान की नौकरी
जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय, संभागीय लोकशिक्षण संचालनायल और जनपद शिक्षा केन्द्र में एक दर्जन से अधिक अधिकारी ऐसे भी हैं जो जिनकी पदस्थापना स्कूलों में हेड मास्टर, लेक्चरर, शिक्षक या फिर स्टेनों के पद पर हुई थी। लेकिन ये नौकरशाह सिफारिशों के बूते शिक्षा विभाग में खाली पड़े ऊंचे पद, विभाग प्रमुख जैसे वरिष्ठ पदों पर पदों के विरुद्घ काबिज होकर शान की नौकरी कर रहे हैं।

ऐसा है सिफारिशों का गणित
सांसद- कुछ कर्मचारी ऐसे हैं जो ऊंची एप्रोच से गंभीर बीमारी या अन्य कोई बहाने से सांसदों की अनुशंसा पाकर शिक्षा विभाग में स्वीकृत पदों के विरुद्घ जमे हुए हैं।
विधायक - विधायकों की सिफारिश भी विभाग की जरूरत बढ़ा रही है। कई शिक्षक, कर्मचारी विधायकों से सिफारिश लगाकर आराम पंसद नौकरी कर रहे हैं।
अफसर - अतिशेष या अटैचमेंट के इस खेल में अफसर भी कम नहीं। विभागों में पदस्थ अधिकांश नियम विरुद्घ कर्मचारी किसी न किसी वरिष्ठ अफसर के चहेते बताए जा रहे हैं।

अटैचमेंट के प्रकरण हमारे पास नहीं आते। हम उन जरूरतमंदों के लिए अनुशंसा करते हैं जो सही कारण बताते हैं।
अशोक रोहाणी, विधायक कैंट

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अनुशंसा के 8-10 प्रकरण आते हैं। हम उन्हें के लिए अनुशंसा करते हैं जो गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं।
सुशील तिवारी इंदू, विधायक, पनागर

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जो वाकई में अतिशेष हैं उन्हें शिक्षा विभाग युक्तियुक्त करण के दायरे में नहीं लाता। जो नहीं है उन्हें भी अतिशेष की सूची में डाल दिया गया है।
मुकेश सिंह, प्रांतीय संयोजक, अध्यापक प्रकोष्ठ

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पदस्थापना शासन के निर्देशानुसार की गई है। फिलहाल इतना ही बता पाऊंगा।
मनीष शर्मा, संभागीय संचालक, लोकशिक्षण

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विभागीय कार्य का प्रभावित न हो इसलिए उच्च कार्यालय के निर्देश पर खाली पदों पर कर्मचारियों की पदस्थापना की गई है।
एसएस ठाकुर, डीईओ

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