जनसंपर्क तक पहुंची भर्ती घोटाले की जांच: लोकायुक्त ने मांगी जानकारी

भोपाल। मप्र शासन की विज्ञापन ऐजेंसी 'मप्र माध्यम' में तैनात प्रकाश गौड़ की नियुक्ति की जांच शुरू हो गई है। एमपी एग्रो में भ्रष्टाचार के दोषी प्रकाश गौड़ को नियम विरुद्ध नियुक्ति एवं संविलियन दिया गया। इतना ही नहीं प्रकाश गौड़ ने बैकडेट में अपनी एनओसी भी हासिल कर ली थी। अब लोकायुक्त पुलिस ने तमाम फाइलें बुलवाईं हैं।

मध्यप्रदेश स्टेट एग्रो इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट कारपोरेशन (एमपी एग्रो) में 17 साल पहले हुई प्रकाश गौड़ की नियुक्ति के मामले में लोकायुक्त ने गृह विभाग से पूर्व गृहमंत्री चरणदास महंत की वो नोटशीट मांग ली है, जिसके आधार पर नियुक्ति की गई थी। बताया जा रहा है कि मंत्रीजी की नोटशीट पर ही प्रकाश गौड़ को डीजीएम बनाया गया था।

लोकायुक्त ने गृह विभाग के साथ जनसंपर्क विभाग के प्रमुख सचिव से भी दस्तावेज मांगे हैं। सोमवार को लिखे पत्र में एमपी एग्रो और माध्यम से भी गौड़ की नियुक्ति संबंधी सभी दस्तावेज तबल किए गए हैं।

विशेष पुलिस स्थापना, लोकायुक्त के डीएसपी विनोद शर्मा ने बताया कि गौड़ की नियुक्ति ही नियमों के विरुद्ध हुई थी। नियुक्ति होने के बाद प्रतिनियुक्ति पर इन्हें मध्यप्रदेश माध्यम में तैनात किया गया। तमाम शिकायत के बावजूद संविलियन कराकर पदोन्न्ति भी दे दी गई।

एमपी एग्रो में चल रही जांचों का हवाला देकर माध्यम में संविलियन का विरोध तत्कालीन प्रबंध संचालक प्रवेश शर्मा ने किया था, पर अध्यक्ष शिवनारायण मीणा ने बैकडेट में अनुमति जारी कर दी। प्रवेश शर्मा ने अपने पत्र में माध्यम के एमडी को लिखा था कि इनका संविलियन नहीं हो सकता है, क्योंकि ये गबन के मामले में दोषी पाए गए हैं। इस कारण कारपोरेशन संविलियन की सहमति नहीं दे सकता है।

इसके विपरीत तत्कालीन अध्यक्ष मीणा ने अपने लेटरहेड पर सहमति पत्र जारी कर दिया। मामले की शिकायत होने और प्रथम दृष्टया परीक्षण में पद का दुरूपयोग पाए जाने पर प्राथमिक जांच दर्ज कर विवेचना शुरू की गई है। विभागों से नियुक्ति के दस्तावेज मिलने पर देखा जाएगा कि नियुक्ति और संविलियन के मामले में किसकी क्या भूमिका रही। इसके बाद ही चालान पेश होगा।

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