गुर्जर आंदोलन: झुकी सरकार, मिलेगा आरक्षण, आंदोलन समाप्त

जयपुर। आरक्षण की मांग को लेकर आठ दिनों चला आ रहा गुर्जरों का आंदोलन खत्म हो गया है। राजस्थान सरकार ने गुर्जरों के पांच फीसदी आरक्षण देने की मांग स्वीकार कर ली है। जयपुर में राजस्थान के चिकित्सा मंत्री राजेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि इस संबंध में सरकार नया विधेयक लेकर आएगी, जिसे विधानसभा में पास कराया जाएगा। राठौड़ ने कहा कि सरकार और आंदोलनकारी गुर्जरों के बीच आठ बिंदुओं पर सहमति बन गई है।

गुरुवार शाम को शासन सचिवालय में गुर्जर आरक्षण समिति के संयोजक कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला और सरकार मंत्रियों के बीच पांचवें दौर की अहम वार्ता हुई, इसके बाद गुर्जरों की मांग मान ली गई। सचिवालय कक्ष में हुई वार्ता में चिकित्सा मंत्री राजेंद्र सिंह राठौड़, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अरुण चतुर्वेदी, खाद्य आपूर्ति मंत्री हेमसिंह भड़ाना के साथ गुर्जर नेता बैंसला और गुर्जर समाज के अन्य प्रतिनिधि मौजूद थे।

वसुंधरा राजे सरकार ने सरकारी नौकरियों में 5 फीसदी आरक्षण देने की गुर्जर समुदाय की मांग मानते हुए कर्नल बैंसला को सरकार की ओर से अलग से गुर्जरों को आरक्षण का प्रावधान करने के प्रस्ताव की चिट्ठी सौंप दी। यह आरक्षण 50 प्रतिशत से ऊपर होगा। इससे पहले गुर्जर प्रतिनिधि मंडल के साथ राज्य सरकार के प्रतिनिधियों की चार बार बैठक हुई थी लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला था। सरकार से समझौता के बाद गुर्जर नेता किरोड़ी सिंह बैंसला ने आंदोलन खत्म करने का ऐलान किया। इसके साथ ही उन्होंने लोगों को हुई परेशानी के लिए माफी मांगी।

'अबकी बार-आखिरी बार' के नारे के साथ गुर्जर आंदोलनकारी पिछले 21 मई से भरतपुर के पास मुंबई दिल्ली रेलमार्ग पर आंदोलन पर बैठे थे।

1954 से चल रहा है गुर्जर आंदोलन
राजस्थान के गुर्जर समाज के लोग लंबे समय से अनुसूचित जनजाति के तहत शामिल करने की मांग कर रहे हैं। फिलहाल राजस्थान के गुर्जर समाज के लोग ओबीसी में आते हैं। इस वे अपने आंदोलन में ओबीसी के तहत ही राज्य की नौकरियों में 5 फीसदी अलग से आरक्षण की मांग कर रहे हैं। 2007 और 2008 में भी वसुंधरा राजे के सरकार के समय गुर्जर आरक्षण की मांग को लेकर हिंसक आंदोलन कर चुके हैं।

कोर्ट ने लगाई रोक
राजस्थान में आई कांग्रेस की सरकार ने गुर्जर समाज को 5 फीसदी आरक्षण देने का ऐलान कर दिया था। पर कोर्ट ने इस पर यह कहते हुए रोक लगा दी कि कुल आरक्षण 50 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकता। इस मामले में अगली सुनवाई कोर्ट में 16 जुलाई को होने वाली है।

दशकों पुराना आंदोलन
- 50 साल से ज्यादा पुराना है गुर्जर आरक्षण आंदोलन।
- 03 राज्यों जम्मू कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड में गुर्जर समाज के लोग  अनुसूचित जनजाति में आते हैं।
- 10 फीसदी है राजस्थान में गुर्जरों की आबादी।
- 1954 में राजस्थान में मीणा को अनुसूजित जनजाति का दर्जा मिला जबकि गुर्जरों को ये दर्जा नहीं मिला।
- 1981 में गुर्जरों को पिछड़ी जाति की श्रेणी में रखा गया

गुर्जर आरक्षण के लिए वसुंधरा सरकार लाएगी विधेयक
राजस्थान सरकार ने कहा है कि विधान सभा के आगामी सत्र में विधेयक लाकर गुर्जरों को पांच प्रतिशत आरक्षण के प्रस्ताव को पास कराया जाएगा। राज्य सरकार विधेयक को मंत्रिमंडल में पारित कराने के बाद केंद्र को भेजकर नवीं सूची में डलवाने के लिए प्रतिबद्ध होगी। आरक्षण से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा के लिए सरकार और आंदोलनकारियों की एक समिति भी बनेगी, जो कि सरकार को सुझाव देगी। प्रत्येक माह के पहले मंगलवार क आरक्षण मामले की नियमित समीक्षा पर भी दोनों पक्षों ने सहमति जताई है।

आंदोलनकारियों से मुकदमे होंगे वापस
आरक्षण आंदोलन के दौरान आंदोलनकारियों पर सरकार की ओर से दर्ज कराए गए मुकदमों को लेकर भी वार्ता में चर्चा हुई। आंदोलनकारियों पर लगे सभी मुकदमों को सरकार नियमानुसार निस्तारण कराएगी। गुर्जर आरक्षण आंदोलन के समझौते की समीक्षा मंत्रिमंडल द्वारा भी की जाएगी। उक्त समझौते पर सहमति के बाद आरक्षण आंदोलनकारियों के नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैसला ने हिन्दुस्तान को बताया कि मांगे मान लिए जाने के बाद गुर्जर आरक्षण आंदोलनकारी अब आंदोलन वापस ले लेंगे। देर रात बैंसला आंदोलनकारियों से मिलने बयाना पहुंचेंगे, जहां आंदोलन खत्म करने का औपचारिक ऐलान करेंगे।

इनको भी मिलेगा लाभ
गुर्जर आरक्षण आंदोलन के कारण राजस्थान सरकार के झुकने से गुर्जरों के अलावा, रेवारी, लोहार, बंजारा जैसी जातियों को भी आरक्षण का लाभ मिलेगा।

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