राजधानी में फेल हो रहा है लो-फ्लोर बसों का सिस्टम

भोपाल। इसमें कोई दो राय नहीं कि भोपाल का एक बड़ा वर्ग लो-फ्लोर की सेवाएं पसंद करने लगा है लेकिन प्रसन्न पर्पल की हाशहुश पॉलिसी के चलते राजधानी में लो-फ्लोर बसों का संचालन सिस्टम फेल होता जा रहा है। 

आए दिन रूटों में परिवर्तन से दो रूटों के बीच ओवरलैपिंग की समस्या से व्यवस्था बिगड़ गई है। यही वजह है कि कहीं लो फ्लोर साथ-साथ दौड़ती नजर आती हैं तो कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां लोक परिवहन की सुविधा ही नहीं है।

लो फ्लोर बसों के लिए रूटों का निर्धारण दिल्ली अरबन मास ट्रांजिट कंपनी लिमिटेड ने तैयार किए थे लेकिन बाद में बस ऑपरेटरों के कहने से रूटों में बार-बार बदलाव किए गए। जिससे दो अलग-अलग रूटों के बीच ओवरलैपिंग बढ़ गई। इससे बस ऑपरेटरों के बीच जहां विवाद शुरू हो गया, वहीं यात्री नहीं मिलने से नुकसान उठाना पड़ रहा है। हाल ही में टीआर 3 रूट की 13 बसें ओवरलैपिंग के कारण बंद कर दी गईं। वर्तमान में 12 रूटों पर 215 बसों का संचालन हो रहा है, 10 बसें और चलनी हैं। ट्रैफिक जानकारों की मानें तो यात्रियों की संख्या का सर्वे के बाद ही उस रूट पर बसों की जरूरत के हिसाब से संचालन होना चाहिए। इससे ओवरलैपिंग और विवाद की समस्या खत्म हो सकती है।

----------
यह होता है नुकसान
एक ही रूट पर अलग-अलग बस ऑपरेटर की बसें दौड़ने से विवाद होते हैं। दोनों ऑपरेटरों को नुकसान उठाना पड़ रहा है।
बार-बार रूट बदलने से लोगों को सुविधा से वंचित होना पड़ रहा है।
ओवरलैपिंग से जंक्शन में बसों के कारण जाम की समस्या होती है।
-----------

नहीं हो पा रही प्रॉपर मॉनीटरिंग
शहर में दौड़ रहीं 215 लो फ्लोर बसों की मॉनीटरिंग का जिम्मा बीसीएलएल के पास है। सभी बसों में जीपीएस लगे हैं। कंट्रोल रूम से इन पर नजर रखी जाती है। सभी बसों के बीच प्रॉपर समय का अंतराल होना चाहिए। ताकि बसें साथ साथ न दौड़ें और निर्धारित स्टॉप पर ही रुकें। लेकिन मॉनीटरिंग सही तरीके से नहीं होने से बसों का संचालन व्यवस्थित तरीके से नहीं हो पा रहा है।
-----------

इन रूटों में बढ़ी ओवरलैपिंग
गांधी नगर से करोंद होते हुए जेके रोड, निजामुद्दीन कॉलोनी, पटेल नगर बायपास तक संचालित होने वाली एसआर- 7 का संचालन बंद हो गया। इसके बाद एसआर-7 के लिए नया रूट तैयार हुआ, जो गांधी नगर से बोर्ड ऑफिस होते हुए पटेल नगर तक जाती है। इसमें टीआर 1, एसआर 5 और टीआर 3 रूट की बसें ज्यादातर सामानान्तर दौड़ती हैं।
टीआर 3 को दो बार बदला गया, अब एसआर 7 से ओवरलैपिंग होने से तीसरी बार बदलने की तैयारी है।
टीआर 4 सीहोर नाके से मिसरोद तक एसी बसें चलती थी, बाद में मंडीदीप तक किया गया, दो महीने पहले इसी रूट पर बीसीएलएल की बसें चालू हो गईं। इससे पहले टीआर 1 नादरा से मंडीदीप दौड़ती थीं। तीन ऑपरेटरों के बीच एक ही रूट पर प्रतिस्पर्धा बढ़ गई।
एसआर 1 रूट पहले जहां लालघाटी से बैरागढ़ चीचली तक दौड़ती थी, जिसे बदलकर सीहोर नाके से कर दिया गया।
एसआर 3 रूट पहले गांधी नगर से 12 नंबर तक थी, इसे बढ़ाकर आकृति ईकोसिटी किया गया, जिससे ओवरलैंपिंग बढ़ी।

-----------

इन रूटों पर है जरूरत
अवधपुरी से बायपास वाला क्षेत्र
बायपास से निजामुद्दीन कॉलोनी, जेके रोड, मीनाल, करोंद तक
कोलार रोड से दानिशकुंज होते हुए सलैया
भोपाल रेलवे स्टेशन से नादरा होते हुए पीपुल्स अस्पताल, इस्लाम नगर क्षेत्र
कुछ रूट ऐसे हैं जहां बसों की संख्या कम है

---------

एक्सपर्ट व्यू
शहर में सभी रूटों का ट्रैफिक वैल्यूम सर्वे कराना चाहिए। इसके बाद यात्रियों के हिसाब से बसों की संख्या तय हों और आरटीओ उतनी ही बसों को उस रूट पर परमिट दे। तभी ओवरलैपिंग की समस्या दूर हो सकती है। इसके अलावा बीसीएलएल अपनी बसों का अलग अलग रूटों का खुद ठीक से मॉनिटरिंग करें। वर्ष 2010 में लो फ्लोर शुरू होने से पहले सभी वाहनों के लिए अलग अलग रूट तय हुए थे लेकिन इसका पालन नहीं हो पाया। जिससे एक ही रूट पर लो फ्लोर, मिनी बस, मैजिक दौड़ रहे हैं और कई तरह की ट्रैफिक समस्या हो रही है।
एसएस लल्ली, ट्रैफिक एक्सपर्ट

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !