स्टिंग आॅपरेशन: लीक हो रहा है एमपी आॅनलाइन का डाटा

अक्षय वाजपेयी/इंदौर। सरकार एमपी ऑनलाइन के जिस सिस्टम को फुलप्रूफ बताती है, उसके सिस्टम में बड़ी सेंध लग चुकी है। एमपी ऑनलाइन के जरिए जिन भी परीक्षाओं और प्रवेश के फॉर्म भरे जाते हैं उनकी पूरी जानकारी कुछ ही घंटों में लीक हो जाती है। हैकर्स और कियोस्क के कतिपय एजेंट महज चार हजार रुपयों में प्रदेश के किसी भी जिले के दस हजार विद्यार्थियों का डाटा मिनटों में उपलब्ध करवा रहे हैं। इसमें छात्राओं के फोटो, फोन नंबर सहित पूरा पता शामिल होता है।

असामाजिक तत्वों द्वारा दुरुपयोग की आशंका के साथ ही इस पूरे गड़बड़झाले का फायदा वे निजी कॉलेज भी उठा रहे हैं जो किसी भी स्थिति में अपनी सीटें फुल करने की कवायद में जुटे रहते हैं। यह गोरखधंधा कई साल से जारी है, लेकिन न एमपी ऑनलाइन के अफसर इस ओर ध्यान दे रहे हैं और न ही साइबर क्राइम के अफसर।

सिस्टम को पारदर्शी बनाने और विद्यार्थियों की सुविधा के लिए शासन ने दसवीं-बारहवीं सहित अन्य परीक्षाओं के फॉर्म ऑनलाइन भरवाना शुरू किए थे, लेकिन हैकर्स ने इस डाटा का इस्तेमाल भी कमाई के लिए करना शुरू कर दिया।

कॉलेजों में चल रही है एडमिशन प्रक्रिया
इन दिनों कॉलेजों में एडमिशन प्रक्रिया चल रही है। ऐसे में निजी कॉलेजों को अपनी सीटें भरने के लिए इस तरह के डाटा बेस की जरूरत होती है। भोपाल में बैठे एजेंट प्रदेश के निजी कॉलेजों के प्राचार्यों से संपर्क कर उन्हें डाटा देने की पेशकश कर रहे हैं। उन्हें विद्यार्थियों की पूरी लिस्ट ही ई-मेल की जा रही है। जो फॉर्म एजेंट भेज रहे हैं वो एमपी ऑनलाइन के जरिए भरे गए हैं। इन फॉर्म में उपलब्ध जानकारी से निजी कॉलेज छात्रों को अपने कॉलेज में ही एडमिशन लेने के लिए तरह-तरह के ऑफर दे रहे हैं।

फीस कम करने से लेकर पास करवाने तक का वादा विद्यार्थियों से किया जा रहा है। विद्यार्थी जानकारी के अभाव में इन कॉलेजों में प्रवेश ले लेते हैं। बाद में न यहां पढ़ाई होती न प्लेसमेंट। न ही बेहतर संसाधन मिल पाते हैं। विद्यार्थियों के भविष्य के साथ हो रहे इस खिलावाड़ की जानकारी अब तक न सरकार के पास है और न ही जिम्मेदार एजेंसियों के पास।

JEE का डेटा बेचने के लिए भी सक्रिय हैं एजेंट
ये हैकर्स और एजेंट्स सिर्फ एमपी ऑनलाइन ही नहीं, बल्कि जेईई मेन-2015 का डाटा भी इसी तरह से बेचने की कोशिश कर रहे हैं। वॉट्सएप पर कई प्राचार्यों को इस तरह के मैसेज मिले हैं, जिसमें डाटा के एवज में मोटी रकम की मांग की गई है। इसमें भी विद्यार्थियों की निजी जानकारी और नंबर देने के साथ सैम्पल व पैसों के लेन-देन के लिए 8468034345 मोबाइल नंबर दिया जा रहा है।

ये बातचीत हुई फोन पर
हैलो...देवेंद्र जी..
जी हां बोलिए...
मैं इंदौर से बात कर रहा हूं...सुना है आप एडमिशन के लिए विद्यार्थियों का डाटा उपलब्ध करवा रहे हैं?
हां करवा रहा हूं।
यह डाटा किस तरह का होगा?
विद्यार्थी की पूरी जानकारी होगी...मैं सैंपल भेज देता हूं आप खुद ही देख लीजिए।
ठीक है...पैसे कितने देने होंगे।
आपके जिले के 10 हजार विद्यार्थियों की जानकारी उपलब्ध करवाऊंगा...4 हजार रुपए लगेंगे...
कुछ कम नहीं हो पाएगा...जी नहीं...ओके।

(एजेंट देवेंद्र कुमार सोनी से 8982139451 बातचीत का अंश। एजेंट ने पैसे डालने के लिए अपना यूको बैंक का अकाउंट नंबर भी 402902010116396 भी मैसेज किया। यह अकाउंट भोपाल का है।)

हमारा डाटा लीक नहीं हो सकता, जांच करवाता हूं
एमपी ऑनलाइन से जानकारी लीक होना संभव नहीं। आपकी सैम्पल मुझ्ो ई-मेल करिए, मैं जांच करवाता हूं।
सतनाम सिंह सेठी, चीफ ऑपरेटिंग ऑफीसर, एमपी ऑनलाइन भोपाल

डाटा चोरी का मामला है, जांच होगी
यदि इस तरह से डाटा लीक हो रहा है तो यह जांच का विषय है। हो सकता है यह डाटा चोरी का मामला हो डाटा एक्सिस कर रहा हो कोई, अभी कहा नहीं जा सकता।
दिलीप सोनी, एएसपी क्राइम

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