42 प्रतिशत गिर गया LIC का ग्राफ

मुंबई। जीवन बीमा करवाने के लिहाज से देश के आम आदमी के मन में पहले भारतीय जीवन बीमा निगम अर्थात् एलआईसी के प्रति जो भरोसा था, उसमें अब कमी आने लगी है। अपना जीवन बीमा करवाने वाले लोग अब बेहतर सेवाएं उपलब्ध होने के कारण निजी कंपनियों की तरफ उन्मुख होने लगे हैं।

यही वजह है कि निजी बीमा कंपनियां भले ही धीरे-धीरे लेकिन एलआईसी की बाजार हिस्सेदारी में पैठ बनाती जा रही हैं। जीवन बीमा परिषद के सालाना आंकड़ों के अनुसार यूनिट लिंक्ड इश्योरेंस अर्थात् यूलिप के बल पर निजी क्षेत्र की 23 बीमा कंपनियों ने एलआईसी से नये प्रीमियम बाजार में 5 प्रतिशत हिस्सेदारी ले ली है। इससे उनकी संयुक्त रूप से हिस्सेदारी 30 प्रतिशत हो गयी है। दशकों से बाजार में मजबूत स्थिति रखने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की भारतीय जीवन बीमा निगम की हिस्सेदारी में गिरावट का प्रमुख कारण नये उत्पाद खासकर यूलिप पेश नहीं कर पाना है, वहीं दूसरी तरफ बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण इरडा के दिशानिर्देशों के कारण कंपनी को कई अपनी मौजूदा पेशकश को मजबूरन वापस लेना पड़ा है।

इसके कारण एलआईसी की नये प्रीमियम संग्रह में 14 प्रतिशत की गिरावट आयी और पॉलिसी की संख्या में 42 प्रतिशत की कमी आयी। इससे कंपनी की बाजार हिस्सेदारी 2013-14 में 75 प्रतिशत से घटकर 2014-15 में 70 प्रतिशत पर आ गयी। आंकड़ों के अनुसार सभी 23 निजी बीमा कंपनियों का प्रीमियम 2014-15 में 34,382 करोड़ रुपये रहा जबकि 2013-14 में यह 29,517 करोड़ रुपये था। वहीं दूसरी तरफ एलआईसी ने 78,308 करोड़ रुपये प्रीमियम जुटाये जो 2013-14 के 90,645 करोड़ रुपये के मुकाबले 14 प्रतिशत कम है।

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