कोलकाता। पश्चिम बंगाल कैडर के पांच आईएएस अधिकारियों ने नौकरी छोड़ने की तैयारी कर ली है। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, इन अधिकारियों के स्थान पर राज्य सरकार ने नए अधिकारियों की तलाश भी शुरू कर दी है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इन अधिकारियों के सेवा से हटने के बाद प्रदेश में आईएएस अधिकारियों की संख्या 270 रह जाएगी, जबकि राज्य का कोटा 359 का है।
हालांकि अभी स्पष्ट कारण पता नहीं चला है, लेकिन माना जा रहा है कि अव्यवस्थित कार्य संस्कृति व राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते यह कदम उठाया जा रहा है। इन पांच अधिकारियों अमिताभ मुखर्जी व उनकी पत्नी रंजना भी शामिल हैं। कार्मिक और प्रशासनिक सुधार (पीएआर) विभाग के सूत्रों ने बताया कि आईएएस दंपति अभी विश्व बैंक के साथ काम कर रहे हैं।
राज्य सचिवालय के एक अधिकारी ने बताया कि 1983 बैच के आईएएस अधिकारी मुखर्जी ने इस बाबत राज्य के मुख्य सचिव संजय मित्रा से हाल में मुलाकात कर उनकी फाइल को जल्द मंजूरी देने की मांग की थी। इसके अलावा 1986 बैच के एक अन्य आईएएस अधिकारी अरुण मिश्रा अभी बैंकाक में अंतरराष्ट्रीय नगर विमानन संगठन में काम कर रहे हैं। मिश्रा इससे पहले नागरिक उड्डयन मंत्रालय के महानिदेशक के रूप में काम कर चुके हैं।
1988 बैच के आईएएस अधिकारी प्रशांत ने संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए) में प्रशिक्षण लिया था और फिलहाल विश्व बैंक में सलाहकार के रूप में काम कर रहे हैं। पीएआर विभाग के सचिव मनोज कुमार अग्रवाल ने कहा कि साल 2009 के बाद से लंबी अनुपस्थिति को प्रशांत का सेवा से इस्तीफा के रूप में समझा जा रहा है, क्योंकि वे बंगाल लौटने को तैयार नहीं हैं।
इसके अलावा 1989 बैच के आईएएस अधिकारी मनोज अतालिया भी यूएसए में हैं और वहां एक विश्वविद्यालय में अध्यापन कर रहे हैं। राज्य के एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ने कहा कि अव्यवस्थित कार्य संस्कृति, राजनीतिक हस्तक्षेप आदि कारणों से विदेश व विकसित देशों में काम कर चुके अधिकारी घर लौटने को तैयार नहीं होते।
कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले एक दशक में 181 आईएएस अधिकारियों ने नौकरी छोड़ी है। इससे पहले बंगाल कैडर के आईएएस अधिकारियों डीपी पात्रा, पी दास, रविकांत और देवाशीष सोम ने भी समय से पहले सेवाएं छोड़ कॉरपोरेट सेक्टर से जुड़ गए।