आप नई शिक्षानीति बनाइए, हम उसे लागू करेंगे: शिवराज सिंह

भोपाल। नई शिक्षा नीति कैसी हो और उसमें किन विषयों को शामिल किया जाना चाहिए। इस पर मंथन शुरू हो गया है। केरवा स्थित शारदा विहार आवासीय विद्यालय में देशभर के 140 विद्वान जुटे हैं, जो नई शिक्षा नीति पर विचार कर रहे हैं। इन विद्वानों के सुझाव इकठ्ठे कर मानव संसाधन विकास मंत्रालय को भेजे जाएंगे, ताकि उन्हें शिक्षा नीति 2015 में शामिल किया जा सके।

स्कूल में विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान ने दो दिनी कार्यशाला आयोजित की है। जिसमें पहले दिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी शामिल हुए। चौहान ने अपने सुझावों में कहा कि पाठ्यक्रम में अभी बहुत कुछ बदलना होगा। शिक्षा का उद्देश्य ज्ञान, कौशल और नागरिकता के संस्कार देना है। शिक्षा से जीवन के बारे में दृष्टिकोण को विकसित करना है।

उन्होंने कहा कि हमारे साधु-संतों ने जीवन के दृष्टिकोण को दुनिया के सामने रखा। उन्होंने कहा कि गीता को पाठ्यक्रम में शामिल क्यों नहीं करना चाहिए। श्री चौहान ने माना कि शिक्षा के क्षेत्र में परिवर्तन के लिए केवल सरकारी प्रयास पर्याप्त नहीं हैं। उन्होंने भरोसा दिलाया कि इस मंथन के बाद जो सुझाव आएंगे, उन्हें सरकार लागू करेगी।

इससे पहले विद्या भारती के अध्यक्ष डॉ. गोविंद शर्मा ने कहा कि विशिष्ट उद्देश्य की पूर्ति के लिए गोष्ठी का आयोजन किया है। उन्होंने कहा कि शिक्षा एवं समाज एक-दूसरे से जुड़े हैं। दोनों एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं। उन्होंने कहा कि विदेशी शिक्षा प्रणाली ने बहुत हद तक भारतीय मानसिकता को भ्रष्ट कर दिया है। आजादी के बाद कई मनीषियों ने इस पर कार्य किया।

ताकि मनुष्य मानसिक गुलामी से मुक्त हो सके। उन्होंने कहा कि वर्तमान में एकाग्रता की कमी है। एकाग्रता न शिक्षकों में है और न छात्रों में। इसके लिए योग, वैदिक गणित को शिक्षा के साथ जोड़ना होगा। यदि हम ऐसा कर सके, तो हमारा गौरव, आत्मविश्वास बढ़ेगा और मानसिक जकड़न से बाहर निकल सकेंगे।

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