व्यापमं घोटाला: ये रहे वो सबूत जो कांग्रेस ने पेश किए

भोपाल। व्यापमं घोटाले को लेकर लड़ाई तेज हो गई है। आज कांग्रेस ने फिर कुछ नए सबूत पेश किए। सामान्यत: यह काम कांग्रेस के दादा दिग्विजय सिंह किया करते थे परंतु इस बार केके मिश्रा ने किया। मिश्राजी के खिलाफ भी सीएम शिवराज सिंह ने मानहानि का मुकदमा ठोक रखा है। कांग्रेस ने प्रेस कांफ्रेंस में क्या क्या शेयर किया, आप खुद देख लीजिए:-


















मान्यवर पत्रकार बंधुओ,
इस पत्रकार वार्ता के माध्यम से कांग्रेस पार्टी प्रदेश के बहुचर्चित व्यापम महाघोटाले की राज्य सरकार के संरक्षण में जांच कर रही जांच एजेंसी एसटीएफ की जांच प्रक्रिया पर पुनः प्रामाणिक आरोप लगाते हुए कहना चाहती है कि STF ने एक ओर जहां हाईप्रोफाइल राजनेताओं और भ्रष्ट नौकरशाहों को जांच प्रक्रिया में शामिल न कर अपने ही चरित्र को उजागर किया है, वहीं एसटीएफ ने PMT परीक्षा-2012 के घोटालेबाज रेकेट के एक बड़े सरगना राघवेन्द्रसिंह तोमर को मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के दबाव में दंड़ प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत बयान करवा सरकारी गवाह बनाकर उपकृत कर दिया गया है। 

मुख्यमंत्री के नजदीकी राघवेंद्रसिंह तोमर एक पुलिस महानिरीक्षक के बेटे, राजधानी भोपाल में बिल्डरशीप का बड़ा व्यवसाय कर रही फैथ बिल्डर और मंडीदीप स्थित कारोगेटेड बाक्स (गत्ते के डिब्बे) बनाने वाली फैक्ट्री क्वालिटी पेपर इन्डस्ट्री, जिसका बाद में नाम बदलकर श्रीजी प्रीपेक्स इंडिया प्रायवेट लिमिटेड कर दिये जाने वाली फैक्ट्री के मालिक भी हैं, यही नहीं, व्यापम महाघोटाले के जेल में बंद मुख्य आरोपी और व्यापम के चीफ सिस्टम एनाॅलिस्ट नितिन महिन्द्रा द्वारा भ्रष्टाचार के माध्यम से अर्जित की गयी काली कमाई का एक बड़ा हिस्सा भी राघवेन्द्रसिंह के बिल्डर व्यवसाय में न केवल लगा हुआ है, बल्कि एसटीएफ ने राघवेन्द्रसिंह के घर व संस्थानों में पड़े छापों के दौरान नितिन महिन्द्रा से संबंधित लाखों रूपये जब्त भी किये थे।  

उल्लेखनीय है एसटीएफ द्वारा व्यापम के माध्यम से संपन्न पीएमटी परीक्षा-2012 में हुए घोटाले को लेकर जिला न्यायालय में प्रस्तुत चालान में दर्ज दस्तावेजों में इस बात का खुलासा किया गया है कि जेल में बंद भरत मिश्रा के संपर्क होने के बाद राघवेंद्रसिंह द्वारा अपनी फैक्ट्री में विभिन्न स्तरों की व्यापम परीक्षा में शामिल परीक्षार्थियों को रात रूकवाकर माॅडल पेपर की तैयारी करायी जाती थी। हबीबगंज स्टेशन के सामने से इन परीक्षार्थियों को एक सिल्वर कलर की टाटा सफारी गाड़ी में ले जाकर मंडीदीप स्थित उक्त फैक्ट्री में ले जाया जाता था और इसके एवज में नितिन महिन्द्रा द्वारा रूपयों से भरा लिफाफा राघवेन्द्रसिंह को दिया जाता था। 

इस रेकेट में पंकज त्रिवेदी, नितिन महिन्द्रा, डाॅ. विनोद भण्डारी, अरविंदो मेडीकल कालेज इंदौर के जनरल मैनेजर प्रदीप रघुवंशी, भरत मिश्रा, राघवेंद्रसिंह और उनके मैनेजर राॅबिनसिंह की भूमिकाएं मुख्य थीं। राघवेन्द्रसिंह तोमर को छोड़कर आज सभी आरोपी जेल में बंद हैं। कांगे्रस का सीधा आरोप है कि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चैहान के दबाव में राघवेन्द्रसिंह तोमर को जिसकी फैक्ट्री में इस महाघोटाले के अपराध को अंजाम दिया जाता था, उसे सरकारी गवाह बनाकर उपकृत किया गया है। जब सभी आरोपी जेल में बंद हैं तो राघवेन्द्रसिंह तोमर को एसटीएफ ने यह रियायत क्यों, किसलिए और किसके इशारे पर दी है ?

भिण्ड निवासी राॅबिनसिंह सेंगर जिसके मामले में राघवेन्द्रसिंह तोमर का कहना है कि उक्त फैक्ट्री मैंने उन्हें पंचास हजार रूपये महीने पर एक शपथ-पत्र के बाद लीज पर दे दी है। क्या मात्र 100 रूपये के एक शपथ-पत्र पर लाखों रूपयों की मालिकाना हक वाली किसी फैक्ट्री को लीज पर दिया जा सकता है ? 

कांग्रेस का दूसरा बड़ा आरोप है कि व्यापम महाघोटाला उजागर होने की मुख्य कड़ी इंदौर का राजेन्द्र नगर पुलिस स्टेशन है, जहां इससे संबद्ध अपराधियों की पहली गिरफ्तारियां हुईं थीं। इसकी व्यापकता उजागर होने पर जांच प्रक्रिया से इंदौर पुलिस की क्राइम ब्रांच को भी जोड़ दिया गया। इस दौरान पुलिस की गिरफ्त में आये आरोपी डाॅ. जगदीश सगर की गिरफ्तारी इंदौर क्राइम ब्रांच ने मुंबई में बतायी। क्राइम ब्रांच ने डाॅ. जगदीश सगर से वहां 50 लाख रूपये, रीवा मेडीकल कालेज में डाॅ. सगर के साले से 1.20 करोड़ रूपये, ग्वालियर मेडीकल कालेज में अध्ययनरत उसकी पत्नी अन्य भाईयों से 1.27 करोड़ और डाॅ. सगर की निशादेही पर इंदौर के हवाला व्यापारी कांति भाई से संबंधित 1.80 करोड़ रूपयों के दस्तावेज डाॅ. सगर से प्राप्त कर इंदौर के एमजी रोड स्थित एजेंट से हवाले के माध्यम से हस्तांतरित किये जाने वाले 1.80 करोड़ रूपये जब्त किये गये हैं। यह दस्तावेज और बरामद करोड़ों रूपयों की धनराशि शासकीय रिकाॅर्ड से गायब क्यों है? 

कांग्रेस जानना चाहती है कि यदि एसटीएफ की कार्यशैली पूरी तरह पारदर्शी और ईमानदार है तो आखिरकार क्या कारण है कि:-

(1) व्यापम महाघोटाले के एक महत्वपूर्ण आरोपी और मुख्यमंत्री के रिश्तेदार डाॅ. गुलाबसिंह किरार, जिनके विरूद्व ग्वालियर एसटीएफ में प्रकरण दर्ज है, वे फरार हैं, किंतु मुख्यमंत्री के साथ वरिष्ठ पुलिस/जिला प्रशासन के अधिकारियों की मौजूदगी में मंच साझा करते हैं और पुलिस उनकी गिरफ्तारी नहीं कर पा रही है, ऐसा क्यों ?
(2) वनरक्षक भर्ती परीक्षा में फर्जी तरीके से दाखिल आरोपी मुकेश राय, जिसे पांच दिन पहले एसटीएफ छतरपुर से उठाकर लायी है और उसकी नियुक्ति की एक्सल सीट में वित्त मंत्री जयंत मलैया की पत्नी डाॅ. सुधा मलैया का नाम स्पष्ट तौर पर सामने आया है, कि गिरफ्तारी राजनैतिक दबाव के कारण दस्तावेजों में क्यांे नहीं की जा रही है ?
(3) मुख्यमंत्री के सचिव और आयुक्त जनसंपर्क एस.के. मिश्रा. जिनके मोबाइल       नंबर 94251-85550 से जेल में बंद व्यापम घोटाले के सरगना व खनन माफिया सुधीर शर्मा से हुई चर्चाओं का ब्यौरा सामने आया है। उनसे भी एसटीएफ द्वारा आज तक पूछताछ क्यों नहीं की गई ?
(4) मुख्यमंत्री के करीबी और जनअभियान परिषद के अध्यक्ष अजयशंकर मेहता, जिन्हें गिरफ्तार होने के कुछ ही दिन बाद जमानत मिल गई, एसटीएफ ने उनकी जमानत का विरोध क्यांे नहीं किया, अब जबकि वनरक्षक भर्ती परीक्षा में भी उनका दूसरी बार नाम शामिल हो चुका है, इस प्रकरण में उनकी गिरफ्तारी क्यों नहीं हो रही है ?
(5) व्यापम द्वारा आयोजित परीक्षाओं में परिवहन आरक्षक भर्ती परीक्षा-2012 भी आयोजित की गई थी। इस परीक्षा में परिवहन आरक्षकों की सीधी भर्ती हेतु व्यापम/राज्य सरकार द्वारा प्रकाशित करवाये गये विज्ञापन में 198 परिवहन आरक्षकों की भर्ती करने हेतु अधिसूचना मई, 2012 में समाचार पत्रों में प्रकाशित करवायी गई थी। बिना किसी सक्षम प्राधिकारी की स्वीकृति लिये बगैर अवैधानिक तरीके से 332 परिवहन आरक्षकों का चयन क्यांे कर लिया गया ? नियम विरूद्व इसकी स्वीकृति किसने और कैसे दी ? एसटीएफ ने उस दोषी व्यक्ति के विरूद्व अनुसंधान क्यों नहीं किया, यदि किया है तो वह गिरफ्त से बाहर क्यों है? शायद इसलिए कि वह आज एक महत्वूपर्ण पद पर काबिज हैं? 
(6) परिवहन आरक्षकों की भर्ती परीक्षा मंे तत्कालीन परिवहन मंत्री जगदीश देवड़ा ने चयनित परिवहन आरक्षकों को राहत प्रदान करने हेतु नियम विरूद्व उनके फिजीकल टेस्ट न कराये जाने बावत शासकीय नोटशीट कैसे और किसके निर्देश पर जारी की, उनसे पूछताछ क्यों नहीं की जा रही है, जबकि पुलिस भर्ती सेवाओं मंे ऐसे टेस्ट अनिवार्य हैं। 
(7) परिवहन आरक्षक भर्ती घोटाले में तत्कालीन परिवहन मंत्री जगदीश देवड़ा, दो वरिष्ठ आईपीएस, तत्कालीन परिवहन आयुक्त एस.एस.लाल, अतिरिक्त परिवहन आयुक्त और मुख्यमंत्री के रिश्तेदार आर.के. चैधरी एवं तत्कालीन परिवहन मंत्री देवड़ा के पी.ए. दिलीपराज द्विवेदी की संदिग्ध भूमिकाओं की जांच कर उन्हें आरोपी क्यों नहीं बनाया जा रहा है?
(8) उच्च न्यायालय ग्वालियर पीठ ने वर्ष 2012 में संपन्न परिवहन आरक्षक भर्ती परीक्षा-2012 को रद्द करने हेतु 27 जनवरी,2014 को न केवल आदेश पारित किये, बल्कि अपने आदेश में उच्च न्यायालय ने ट्रांसपोर्ट सेवा भर्ती नियम-2011 के उस नियम को भी रद्द कर दिया है, जिसमें पुरूष और महिला आरक्षकों के पदों के लिए समान योग्यताएं रखी गई थीं। यही नहीं इस परीक्षा हेतु अधिसूचना के बिंदु क्रमांक 15 में उल्लेखित आरक्षण तालिका का भी पालन नहीं किया गया। इस नियम विरूद्व कार्य करने और गंभीर दुराचरण को लेकर जबावदेही किसकी थी, एसटीएफ ने उन्हें अब तक तलब क्यों नहीं किया है? 
(9) करोड़ों-अरबों रूपयों के इस महाघोटाले में भ्रष्टाचार के माध्यम से बड़ी धनराशि का लेन-देन हुआ है, जबकि एसटीएफ द्वारा जब्त की गई धनराशि कुछ लाखों-करोड़ों में ही है। यह कमजोर प्रक्रिया किसके इशारे पर और किसे लाभ पहुंचाने के लिए की जा रही है, आरोपियों के बयानों में ही सामने आयी राशि यदि एसटीएफ जब्त कर ले तो वह करोड़ों अरबों में हो सकती है, पर ऐसा नहीं किया गया, आखिरकार ऐसा क्यों?
(10) व्यापम की तत्कालीन चेयरमेन आईएएस रंजना चैधरी को जेल में बंद आरोपी एवं व्यापम के कंट्रोलर रहे पंकज त्रिवेदी एवं चीफ सिस्टम एनाॅलिस्ट नितिन महिन्द्रा ने अपने बयानों में 70 लाख रूपये नगद देने का उल्लेख किया है। यही नहीं पीएमटी घोटाले को लेकर तत्कालीन डीएमई सहित चिकित्सा शिक्षा विभाग के अन्य अधिकारियों की स्पष्ट सार्वजनिक हो चुकी भूमिकाओं के बाद भी एसटीएफ उन्हें अभी तक क्यों मेहरबान है? 

भवदीय
(के.के.मिश्रा)
मुख्य प्रवक्ता

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