मप्र तबादला नीति के संदर्भ में नए निर्देश

भोपाल। प्रदेश में दो साल से लगा तबादलों पर से प्रतिबंध बुधवार से हट गया। सामान्य प्रशासन विभाग ने तबादला नीति जारी कर दी है। प्रथम, द्वितीय और तृतीय श्रेणी के अधिकारी-कर्मचारियों के तबादले विभागीय प्रमुख के प्रस्ताव पर मंत्री के अनुमोदन के बाद होंगे।

जिला स्तरीय संवर्गों में जिले के भीतर तबादले कलेक्टर के मार्फत प्रभारी मंत्री के अनुमोदन से होंगे। गृह विभाग को यह छूट दी गई है कि ज्यादा तबादले करने जरूरी हो तो एकजाई प्रकरण समन्वय में मुख्यमंत्री से अनुमोदन लेकर आदेश जारी किए जा सकेंगे।

नीति से हटकर होने वाले तबादला प्रकरणों में मुख्यमंत्री से समन्वय में आदेश लेने होंगे। राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की पोस्टिंग सामान्य प्रशासन विभाग करेगा। जिले के भीतर पदस्थापना कलेक्टर प्रभारी मंत्री से चर्चा के बाद करेंगे।

सहमति से अलग नीति
सामान्य प्रशासन विभाग ने साफ किया है कि जो विभाग अपनी जरूरत के लिए अलग से नीति बनाने चाहेंगे वे ऐसा कर तो सकते हैं पर इसके लिए सहमति लेना जरूरी होगा। इसमें भी राज्य की तबादला नीति के मुख्य प्रावधानों से अलग कोई नीति नहीं बनाई जाएगी।

एक साल में रिटायरमेंट वालों के तबादले नहीं
नीति में साफ कहा गया है कि ऐसे अधिकारी-कर्मचारी, जिनके रिटायरमेंट में एक साल या उससे कम वक्त बचा है उनका तबादला न किया जाए। यदि प्रशासनिक आधार पर जरूरी हो तो उनके द्वारा दिए विकल्प पर विचार किया जाए। पति-पत्नी के मामले में स्वयं के व्यय पर पदस्थापना के लिए आवेदन मिलने पर तबादला किया जाएगा लेकिन स्थान प्रशासकीय जरूरत पर तय होगा। जांच में प्रथम दृष्टया दोषी पाए जाने पर तबादला किया जाएगा, लेकिन उसे फिर से उसी स्थान पर नहीं भेजा जाएगा, जहां वो रह चुका है। कार्यपालिक कर्मचारी-अधिकारियों को उनके गृह जिले में पदस्थ नहीं किया जाएगा। तकनीकी शिक्षा के अतिशेष शिक्षकों को दूसरी जगह पदस्थ किया जाएगा। इसमें कनिष्ठ शिक्षक को पहले स्थानांतरित किया जाएगा। कम लिंगानुपात वाले जिलों में उच्च प्रशासनिक पदों पर महिला अफसरों की पोस्टिंग प्राथमिकता में की जाएगी।

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