भोपाल। सीएम के मार्मिक बयान के बाद अधिकारियों ने अतिथि विद्वानों की हड़ताल तोड़ने का एक तरीका खोज लिया है। उन्हें परमानेंट तो नहीं किया जाएगा अलबत्ता उनका वेतन बढ़ाकर 25000 रुपए मासिक कर दिया जाएगा। फिलहाल 200 प्रति पीरियड मिलता है।
अफसरों ने आनन फानन यह प्रस्ताव तैयार कर लिया है। मंजूरी के लिए आगे भी बढ़ा दिया गया है। शीघ्र ही शेष प्रक्रियाएं भी पूरी होने की संभावना है। आंदोलन के प्रेशर में आई सरकार इस मामले में शिवराज को क्रेडिट दिलाना चाहती है। इस तरह शिवराज की संवेदनशीलता को प्रमाणित किया जाने का लक्ष्य तय किया गया है।
अफसरशाही इसके लिए कतई तैयार नहीं है कि अतिथि विद्वानों को परमानेंट कर दिया जाए, इसलिए उनका वेतन फिक्स कर देने का रास्ता निकाल लिया गया। अब उन्हे 25000 रुपए मासिक वेतन मिलेगा जैसा कि अतिथि शिक्षकों को मिलता है। देखना रोचक होगा कि क्या हड़ताली अतिथि विद्वान सरकार के इस प्रस्ताव को स्वीकार करते हैं।