ब्लैकमेलर रेशमा: खुला रेंजर की काली कमाई का राज

इंदौर। रेशमा ब्लैकमेलिंग कांड ने रेंजर राजाराम ओघानिया की काली कमाई का राज खोल दिया। इस मामले में दर्ज किए गए एक पुलिस बयान में कहा गया है कि रेंजर इंदौर में एक हॉस्टल खोलना चाहता था इसके लिए वो रेशमा का प्लाट खरीदने वाला था।

यहां बता दें कि शासकीय सेवा में रहते हुए व्यापार करना अवैध है एवं मप्र में इसे गैरकानूनी माना जाता है। इसे प्रमाणित पाए जाने पर नौकरी से बर्खास्त कर देने के नियम हैं। इसके अलावा अब रेंजर की कुल संपत्तियों की जांच होना भी जरूरी हो गया है। खुलासा होना चाहिए कि रेंजर के पास कुल कितनी संपत्ति है, क्या इंदौर में और कई प्रॉपर्टी हैं और मध्यप्रदेश में कहां कहां कितनी संपत्तियां जमा हैं।

मालूम हो कि रेशमा पर रेंजर समेत फर्नीचर कारोबारी और कांग्रेस नेता पर ब्लैकमेल करने का आरोप है। पुलिस इस मामले में छानबीन कर रही है और इसी प्रक्रिया के दौरान रेंजर के अधीनस्थ का बयान रिकार्ड किया गया है।

वन आरक्षक आशीष ने पुलिस को बताया कि 2010 में रेशमा फर्नीचर कारोबारी बाबूलाल पाटीदार के साथ उसकी दुकान किराए पर लेने आई थी। छह महीने बाद उसने दुकान बंद कर दी।

2013 में एक दिन अचानक उसे महू नाका पर रेशमा दिख गई। वह काफी परेशान थी। उसने कहा कि उसे पैसों की जरूरत है। वह प्लॉट और खेत बेचना चाहती है।

आशीष का कहना था कि रेंजर को भी प्लॉट की जरूरत थी। उसने रेशमा का नंबर रेंजर राजाराम ओघानिया को दे दिया। उसने ही रेंजर और रेशमा को मिलवाया था। रेंजर को प्रॉपर्टी पसंद आई। उसने 51 हजार रुपए बयाना भी दे दिया था। रेंजर एक हॉस्टल खोलना चाहता था।

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