झाड़ू फिर गई आप की साख पर

राकेश दुबे@प्रतिदिन। विधानसभा चुनाव में मिली ऐतिहासिक जीत के दो महीने के भीतर ही  आम आदमी पार्टी टूट के कगार पर पहुंच गई। राष्ट्रीय परिषद की बैठक में योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण और उनके साथ ही आनंद कुमार और अजीत झा को भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बाहर करने का फैसला हुआ, जो एक उभरते हुए राजनीतिक विकल्प के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है।, कलह और निजी अहंकार का यह परिणाम है| तमाम कार्यकर्ताओं के विरोध के बावजूद जो हुआ, उसे खिन से भी सही नहीं कहा जा सकता है|

राष्ट्रीय परिषद की बैठक में यह फैसला जिस तरह से फैसले हुए,वह लोकतांत्रिक प्रक्रिया के मखौल की संज्ञा से अधिक कुछ और नहीं है|

और आम आदमी पार्टी के उदय के पीछे अण्णा आंदोलन की पृष्ठभूमि थी। पर वैकल्पिक राजनीति की उम्मीद से कई अन्य आंदोलनकारी धाराओं के लोग भी जुड़े,  आज वे हताश महसूस कर रहे हैं। शनिवार के प्रकरण से दुखी मेधा पाटकर ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। एसपी उदयकुमार, मधु भादुड़ी, कैप्टन जीआर गोपीनाथ और अशोक अग्रवाल जैसे कई और संजीदा लोग पहले ही पार्टी छोड़ चुके हैं। केजरीवाल और उनके करीबी लोग इस बात से आश्वस्त महसूस कर लेकिन सकते हैं लेकिन आप की साख खत्म हो गई वैसे भी पार्टी की साख की तनिक चिंता किसीको भी  नहीं है। जो मतभेद और सवाल विवाद का विषय बने, वे ऐसे नहीं थे कि सुलझाया ही न जा सकें। आपसी बातचीत से न सुलझने की सूरत में ये सारे मसले लोकपाल के हवाले करके और उनकी राय को अंतिम मान कर आगे बढ़ा जा सकता था। पर लगता है केजरीवाल ने हर हाल में योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को बाहर का रास्ता दिखाने का निश्चय कर लिया था। क्या भविष्य में भी असहमतियों से वे इसी तरह से निपटेंगे?

लेखक श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703
rakeshdubeyrsa@gmail.com


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