शिक्षा विभाग के बाबुओं को शासन का आदेश | पुन: मूशक भव:

जबलपुर। ये कहानी तो सुनी ही होगी आपने। एक साधू चूहे को वरदान देकर शक्तिशाली बनाते जाते हैं और अंत: में उन्हें कहना ही पड़ता है पुन: मूशक भव: । अर्थात जो जिस योग्य है उसे वही रहने दो। शिक्षा विभाग में वर्षों पहले कुछ ऐसा ही हुआ। रिश्वतखोरी के चलते 55 चपरासी प्रमोट होकर बाबू बन गए। जब फाइलें खुलीं तो शासन को आदेश जारी करना ही पड़ा। फिर से बाबुओं को फिर से चपरासी बना दिया गया। अब मामला गर्मा रहा है।

चेक किए जा रहे रिकॉर्ड
आरोप है कि वर्ष 2010 में तत्कालीन संयुक्त संचालक लोक शिक्षण ने अपने रिटायरमेंट के समय नियम विरुद्घ तरीके से उन भृत्यों (प्यून) को भी प्रमोशन देकर बाबू (सहायक ग्रेड-3) बना दिया जिनकी योग्यता बाबू बनने की है ही नहीं। लिहाजा 26 फरवरी 2015 को जारी आदेश पर अमल करते हुए संभागीय संचालक लोकशिक्षण द्वारा संभाग स्तर पर किए गए प्रमोशन निरस्त करने से पहले भृत्य संवर्ग से सहायक ग्रेड-2 और 3 पर प्रमोशन पाने वाले 55 कर्मचारियों के रिकॉर्ड बुलवा कर जांच की जा रही है। इसके बाद रिपोर्ट संचालक, लोकशिक्षण को भेजी जाएगी।

बाबू बनने की योग्यता
प्यून - बाबू
8वीं पास - 12वीं पास
अनुभव - 5 साल तक रेगुलर कार्य

वेतन में फर्क
प्यून को मिलते हैं करीब 17 से 18 हजार रुपए हर माह
बाबुओं का वेतन 20 हजार रुपए हर माह
पुराने होने पर 25 हजार रुपए हर माह

फिर बनेंगे प्यून या जाएगी नौकरी और होगी रिकवरी
जांच के बाद अयोग्य बाबुओं को फिर से प्यून बनाया जा सकता है
फर्जीवाड़ा साबित होने पर नौकरी से भी बर्खास्त किया जा सकता है।
5 साल तक अधिक मिले वेतन की रिकवरी भी हो सकती है।
जांच में दोषी पाए जाने पर प्रमोशन देने वाली कमेटी पर भी हो सकती है कार्रवाई।

बिना पद 4 का कर दिया प्रमोशन
संचालक लोकशिक्षण द्वारा जारी पत्र में 4 भृत्यों के प्रमोशन नियम विरुद्घ बताए गए हैं। पत्र में कहा गया है कि तत्कालीन संयुक्त संचालक जबलपुर द्वारा एक भृत्य को लेखापाल और दो भृत्यों को सहायक ग्रेड-2 और कटनी के एक सहायक ग्रेड-3 को लेखापाल के पद पर पद विरुद्घ पदस्थ किया गया है। पत्र में 2010 की पदोन्नति प्रकिया निरस्त करते हुए 1अप्रैल 2010 की स्थिति में संभाग स्तर पर जारी की गई पदक्रम सूची के स्थान पर जिलास्तर पर पदक्रम सूची का प्रकाशन की कार्रवाई करने, पुनरीक्षित विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक कर रोस्टर के अनुसार रिक्त पदों पर पदोन्नति कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं।

ऐसे हुआ खेल
तत्कालीन संभागीय संयुक्त संचालक थीं शांति बावरिया।
31 दिसम्बर 2010 को हुईं रिटायर।
वरिष्ठता सूची और लास्ट सूची जारी किए गए बिना लिए आवेदन
आरक्षण रोस्टर का नहीं किया गया पालन।
विभागीय पदोन्नति समिति की अनुशंसा के आधार पर काउंसिलिंग कर भृत्य संवर्ग के किए गए प्रमोशन।

कहां हुए कितने प्रमोशन
जबलपुर में - 20
छिंदवाड़ा में - 20
कटनी में -5
नरसिंहपुर -4
सिवनी में -
मंडला में-1

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