संकटहारी नहीं संकटकारी निकली प्राणसुधा, फोरम में केस हारी

इंदौर। उपभोक्ता फोरम में केस हार जाने के बाद भी ओरियंटल केमिकल्स वर्क्स ने अपनी जादू वाली दवाई प्राणसुधा को बाजार से नहीं हटाया है। एक जांच रिपोर्ट में यह दवा जानलेवा बताई गई है क्योकि इसमें कपूर की मात्रा ज्यादा है। इस केस को हार जाने के बाद ओरियंटल केमिकल्स वर्क्स ने अभी तक ऐसी कोई जांच रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की है जो यह बताती हो कि अब बाजार में जो दवा उपलब्ध है वो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं है। 

बीते रोज प्राणसुधा दवा बनाने वाली कंपनी पर उपभोक्ता फोरम ने न सिर्फ जुर्माना लगाया, बल्कि नसीहत भी दी कि दवा में कपूर ज्यादा था, जिससे परिवादी को मानसिक कष्ट पहुंचा। फोरम ने कंपनी को आदेश दिया कि वह लैबोरेटरी में खर्च हुए 1990 रुपए, शारीरिक व मानसिक कष्ट के 5 हजार रुपए और केस में खर्च हुए 2 हजार रुपए अदा करे। जिला उपभोक्ता फोरम की अध्यक्ष भागवती चौधरी व सदस्य सरोज महेंद्र जैन ने प्रकाश नगर रहवासी गोपाल बर्वे (35) के परिवाद पर सुनवाई की। 

दवा पीते ही बेहोश हो गया मरीज 
परिवादी की ओर से वकील दीपक पांडे ने पक्ष रखा कि 15 अप्रैल 2009 को एक मेडिकल स्टोर से गोपाल ने 10 एमएल प्राणसुधा दवा खरीदी थी। इसका बैच नंबर 371 था। 22 अप्रैल 2009 की शाम करीब 6.30 बजे उन्हें घबराहट होने लगी। गोपाल ने पत्नी से प्राणसुधा मांगी और पड़ोसियों ने उसका सेवन कराया। साथ दी गई पत्रिका के अनुसार दवा की पांच बूंदें पानी में मिलाकर गोपाल ने पी। घबराहट कम होने की बजाय बढ़ गई और वे बेहोश हो गए। शरीर अकड़ने लगा तो तुरंत डॉक्टर को बुलाया गया। छह दिन (तीन दिन आईसीयू में) अस्पताल में भर्ती रहने पर उन्हें आराम पड़ा। गोपाल ने प्राणसुधा बनाने वाली कंपनी और मेडिकल को 371 सीरियल की दवा बाजार से हटाने के लिए कहा। मेडिकल स्टोर की तरफ से नरेंद्र झा ने आश्वासन भी दिया। गोपाल ने बाजार में जांचा तो पता चला कि उसी सीरियल की प्राणसुधा बिक रही है, जिससे उनकी जान जोखिम में आई थी। इसके बाद उन्होंने फोरम में परिवाद दायर किया तथा बाजार में बिक रही सीलबंद प्राणसुधा भी पेश की।

गलती मानने के बजाए पीड़ित को ही गरिया डाला कंपनी ने 
परिवाद में ओरियंटल केमिकल्स वर्क्स तर्फे नरेंद्र झा और मेसर्स कार्तिक केमिस्ट को विपक्षी बनाया गया। कार्तिक केमिस्ट ने फोरम को जवाब नहीं दिया। ओरियंटल केमिकल्स की ओर से जवाब आया कि गोपाल ने लू लगने की आशंका पर प्राणसुधा ली थी। उन्होंने दवा के साथ दिए निर्देश का पालन न करते हुए पांच बूंद की जगह 10 बूंदें ले लीं। दवा साधारण पानी से लेना थी, लेकिन उन्होंने शकर के शर्बत में ली। गोपाल पहले ही मधुमेह, रक्तचाप और हाईपरटेंशन से पीड़ित हैं। ऐसे में उन्होंने प्राणसुधा की बजाय कोई और दवा खरीद ली और उसे ले लिया, जिससे वे बीमार पड़े। वजह यह है कि प्राणसुधा की कीमत 20 रुपए है जबकि वे 19 रुपए में खरीदना बता रहे हैं। प्राणसुधा आयुर्वेदिक है इसलिए इसके साइड इफेक्ट नहीं होते हैं। गोपाल ने प्राणसुधा की मानहानि की है इसलिए 10 लाख रुपए उनसे दिलवाए जाए।

जांच कराई तो खुल गई पोल 
विपक्षी ने कई गवाह और डॉक्टर फोरम में खड़े किए, जिन्होंने प्राणसुधा को सही बताया। यह बात भी सामने आई कि यह आयुर्वेदिक औषधि है जिसमें अजवाइन, पुदीना, कासर और कपूर है। परिवादी ने इसकी जांच आईटीएल लैब्स प्रालि से करवाई, जिसकी रिपोर्ट फोरम में पेश की गई। इससे स्पष्ट हुआ कि दवा में कपूर की सामान्य मात्रा 9.0 प्रतिशत होती है जबकि इसमें 11.0 प्रतिशत थी, जो अत्यधिक है। फोरम ने रिपोर्ट के आधार पर जुर्माना लगाया।

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