भोपाल। मध्यप्रदेश के लोकप्रिय मुख्यमंत्री ने हाल ही में किसानों से वादा किया था कि नुक्सान नहीं होने दूंगा, अधिकारियों को निर्देश दिया था कि जिस गेंहू में चमक ना हो उसे भी पूरी कीमत पर खरीदें, लेकिन अधिकारियों ने सीएम का वादा जांच के लिए लैब में भेज दिया। अब लैब तय करेगी कि सीएम का वादा निभाया जाएगा या नहीं।
रिपोर्ट यदि पॉजिटिव आती है तो भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) पतले और चमकविहीन गेहूं की खरीदी की इजाजत देगा।
इसके लिए राज्य सरकार की मांग के मद्देनजर एफसीआई, कृषि विभाग और खाद्य, नागरिक आपूर्ति निगम के अफसरों की संयुक्त टीम ने विभिन्न् जगहों से सेम्पल इकठ्ठे करके क्षेत्रीय प्रयोगशाला को भेजे हैं।
प्रदेश के विभिन्न् जिलों में 25 मार्च से गेहूं की सरकारी खरीदी शुरू हो गई है लेकिन गेहूं की गुणवत्ता को लेकर विवाद सामने आ रहे हैं। खरीदी केन्द्रों पर चमकविहीन और पतला गेहूं नहीं खरीदा जा रहा है।
जबकि, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दो दिन पहले ही खरीदी की समीक्षा के दौरान अधिकारियों को कम चमक वाले गेहूं को खरीदने के निर्देश भी दिए हैं पर एफसीआई ने खरीदी के मापदण्ड में अभी छूट नहीं दी है। इसको लेकर मुख्यमंत्री ने केन्द्र सरकार को पत्र लिखकर रियायत मांगी है।
पत्र के मद्देनजर एफसीआई, कृषि विभाग और नागरिक आपूर्ति निगम के अफसरों ने अलग-अलग जगहों से गेहूं के नमूने लेकर प्रयोगशाला को जांच के लिए भेज दिए हैं। यदि प्रयोगशाला की रिपोर्ट गेहूं को चमकविहीन और पतला होने के बावजूद गुणवत्तायुक्त करार देती है तो फिर इसे खरीदी की इजाजत मिल सकती है। ज्ञात हो कि प्रदेश में ओले और बारिश से सर्वाधिक गेहूं की फसल ही प्रभावित हुई है।
जांच रिपोर्ट का इंतजार
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के प्रमुख सचिव अशोक वर्णवाल का कहना है कि संयुक्त दल ने सेम्पल भेज दिए हैं। रिपोर्ट आने के बाद खरीदी की स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।