हाईकोर्ट में हार गई MPPSC, पल्लवी को देनी होगी नौकरी

इंदौर। MPPSC के अधिकारी सामान्यत: मनमानी के लिए जाने जाते हैं। नौकरियो के मामले में वो जो कर दें वही सही, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। पल्लिवी शुक्ला के केस ने MPPSC के अधिकारियों को बता दिया है कि अब मनमानी नहीं चलेगी। उन्होंने जो कह दिया वो पत्थर की लकीर नहीं रहेगी।

चार साल की कानूनी जंग के बाद आखिरकार इंदौर की पल्लवी शुक्ला हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ से वर्दी ले आईं। वे जल्द ही डीएसपी पद पर नियुक्त होंगी। हाई कोर्ट की एकलपीठ ने गृह विभाग को आदेश दिया है कि इस नियुक्ति के संबंध में जल्द पूरी कार्रवाई करें।

न्यायमूर्ति शुभदा वाघमारे ने MPPSC की दलीलों को खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया। याचिकाकर्ता के वकील ब्रेन डिसिलवा ने पक्ष रखा कि MP PSC की परीक्षा पास करने के बाद 2009 में पल्लवी का चयन डीएसपी पद के लिए हुआ, जिसे मुख्य सूची में दर्शाया गया था। बाद में पीएससी ने इसे वेटिंग लिस्ट में डाल दिया। पीएससी ने दलील दी थी कि चयन लिस्ट की वैधता खत्म हो चुकी थी, इसलिए नियुक्ति नहीं दी गई। जबकि चयन लिस्ट की वैधता समाप्त होने से पहले ही हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी गई थी। ऐसी स्थिति में वैधता खत्म नहीं मानी जाएगी। कोर्ट ने पल्लवी के पक्ष को मजबूत माना।

ये हुआ साल-दर-साल
28 अक्टूबर 2010 : पीएससी ने पल्लवी का नाम डीएसपी पद के लिए मुख्य सूची में दर्ज किया।
10 जनवरी 2011 : पीएससी ने रिजल्ट बदल दिया और इसे कम्प्यूटर त्रुटि बताई।
19 जनवरी 2011: निर्णय को पल्लवी ने हाई कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन याचिका खारिज कर दी गई।
फिर हाई कोर्ट की शरण ली और युगलपीठ के सामने रिट अपील दायर की। युगलपीठ ने एकलपीठ को निर्देश दिए कि वह सभी तथ्यों को परखें और फैसला सुनाएं। खारिज याचिका पुनर्जीवित हुई।
9 जुलाई 2013 : एकलपीठ ने पल्लवी के पक्ष में फैसला सुनाया, जिसके विरुद्ध पीएससी ने रिट अपील दी।
23 जनवरी 2015 : हाई कोर्ट ने पीएससी की दलीलों को खारिज किया और फैसला पल्लवी के हक में सुनाया।

MP PSC की दलीलें
कम्प्यूटर में त्रुटि के कारण मुख्य सूची में पल्लवी का नाम आया।
आलोक शर्मा को पल्लवी से 6 नम्बर ज्यादा आए थे, इसलिए उसे नियुक्ति दी गई।
आलोक को पहले आयु संबंधी छूट देना भूल गए थे, जिसे सुधारते हुए पल्लवी का नाम हटाया गया।
चयन लिस्ट की वैधता खत्म होने से पल्लवी को नियुक्ति नहीं दी जा सकी।
डीएसपी का एक पद चयन लिस्ट की वैधता खत्म होने से खाली हुआ था, इसलिए नियुक्ति नहीं दी गई।

पल्लवी के तर्क
मेरिट के आधार पर मुख्य सूची बनी थी, जिसे कम्प्यूटर की त्रुटि नहीं कहा जा सकता।
पीएससी को तीन माह बाद याद आया कि आलोक शर्मा को 6 नम्बर ज्यादा आए थे, जो गलत है।
आलोक व अन्य के आवेदन पर नियुक्ति बदली गई थी ना कि आयु संबंधी छूट देने की भूल पर।
हाई कोर्ट में याचिका विचाराधीन के वक्त चयन लिस्ट की वैधता खत्म हुई थी, इसलिए इसे खत्म होना नहीं माना जा सकता।
डीएसपी पद रिक्त होने के बाद भी पीएससी ने जानबूझकर नियुक्ति नहीं दी।


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