इंदौर। गुलियन बेरी सिड्रोंम (JBS) यह नाम है उस बेहद खतरनाक बीमारी का जो 10000 में से किसी एक को हुआ करती थी परंतु पिछले दिनों में यह तेजी से बढ़ रही है। अस्पतालों में 100 से ज्यादा मरीज आ चुके हैं। यह मरीज को अचानक अपाहिज बना देती है, दवाएं बहुत मंहगी हैं और यदि गलती हो गई तो बीमारी विकराल हो जाती है। बीमारी क्यों होती है, सावधानियां क्या बरतें, डॉक्टरों को इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। पीड़ित मौत के मुहाने पर हैं परंतु सरकार को अभी तक कोई फिक्र नहीं। अब मीडिया ढोल बचाएगी तो शायद सरकार जाग जाए।
पढ़िए इंदौर की पत्रकार सुमेधा पुराणिक चौरसिया की यह रिपोर्ट:-
महू से करीब 20 किमी दूर गुजरी गांव में रहने वाला 15 साल का सद्दाम पलंग में रस्सी कसने का काम करता है। चार दिन पहले काम करते समय अचानक पैर लड़खड़ाए और नीचे गिर गया। चंद मिनटों में कमर के नीचे का हिस्सा और हाथ लकवाग्रस्त हो गए। एमवाय अस्पताल पहुंचने पर जांच हुई तो रिपोर्ट में उसे गुलियन बेरी सिड्रोंम (जीबीएस) बीमारी होना पाया गया। अभी तक इलाज नहीं शुरू हो पाया है।
रहस्य बना यह सिंड्रोम का अटैक पिछले कुछ सप्ताह में तेजी से हुआ है। सरकारी और निजी अस्पतालों में 100 से ज्यादा केस आ चुके हैं। यह अज्ञात वायरस नसों पर हमला कर व्यक्ति को एकाएक अपाहिज बना देता है। लकवे से हाथ, पैर काम करना बंद कर देते हैं। मेडिसीन विभाग की डॉ.अर्चना वर्मा का कहना है इस बीमारी को 'एक्यूट इनफ्लेमेटरी डीमाइलीनेटिंग पॉलीरेडिक्यूलोपेथी' (एआईडीपी) यानी नसों का लकवा कहते हैं। यह अज्ञात कारणों से होती है और इससे बचने का कोई विकल्प भी अब तक नहीं है। सालभर एमवायएच में ऐसे लगभग 25 मरीज पहुंचे हैं, जबिक इससे पहले इक्का-दुक्का मामले ही आते थे।
एक दिन में चार इंजेक्शन जरूरी
बीमारी पूरी तरह से ठीक हो सकती है, लेकिन दवाइयां मंहगी और इलाज का तरीका कठिन होने से मरीजों को परेशानी होती है। डॉ. के अनुसार मरीज को 'इंमिय्नोग्लोब्यूलेंट' इंजेक्शन और दवाइयां दी जाती हैं। एक इंजेक्शन लगभग साढ़े 8 हजार रुपए का होता है। और 1 दिन में 4 इंजेक्शन लगाना जरूरी है। इस तरह 6 दिन के इलाज के लिए कम से कम 1.70 लाख से लेकर 2 लाख तक का खर्च आता है। इंजेक्शन एक बार शुरू करने के बाद बंद नहीं किए जा सकते। बीमारी पूरा डोज लेने के बाद ही दूर हो सकती है। इंजेक्शन नागा होने पर मरीज की हालत बिगड़ जाती है। सहायता संस्था के राधेश्याम साबू ने बताया कि सद्दाम गरीब परिवार से है। अब तक सिर्फ 4 इंजेक्शन का ही इंतजाम हो सका है बाकी के लिए प्रयास जारी है। सद्दाम के परिवार में 9 छोटे भाई-बहन हैं।
10 हजार में से एक पर अटैक
बीते कुछ सप्ताह में जीबीएस के मरीज बढ़े हैं, जबकि इंदौर के अस्पतालों में सालभर में 100 से ज्यादा मरीज सामने आए हैं। इसका वायरस अज्ञात है और 10 हजार में से एक व्यक्ति को अपना शिकार बनाता है।
डॉ. अपूर्व पौराणिक
न्यूरोलॉजिस्ट, एमजीएम मेडिकल कॉलेज
Gullian Beri Syndrome