पेडन्यूज: मंत्री नरोत्तम मिश्रा की कुर्सी खतरे में, हाईकोर्ट में हारे

भोपाल। शिवराज सिंह चौहान की केबीनेट के कद्दावर मंत्री नरोत्तम मिश्रा की कुर्सी अब खतरे में पड़ गई है, हाईकोर्ट ने मिश्रा की वो याचिका खारिज कर दी है जिसमें उन्होंने पेडन्यूज के मामले में चुनाव आयोग को चुनौती दी थी। अब चुनाव आयोग जब चाहे मिश्रा का निर्वाचित निरस्त कर सकता है। हाईकोर्ट की स्पेशल डीवी ने डाॅ0 नरोत्तम मिश्रा की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने रिप्रजेटेंशन आॅफ पीपुल एक्ट की धारा 10ए को चुनौती दी थी, याचिका को खारिज करते हुये, न्यायमूर्ति एमसी गर्ग व न्यायमूर्ति शील नागू की स्पेशल बेंच ने आदेश दिया कि धारा 10ए संवैधानिक है। हाईकोर्ट की सिंगल बैंच इस पूरे मामले की सुनवाई करेगी। इसके बाद अब श्री मिश्रा को 2008 के विधानसभा चुनाव में पेडन्यूज के मामले में चुनाव आयोग के सामने बयान दर्ज कराने होंगे। 

अधिवक्ता प्रदीप विसौरिया के अनुसार डाॅ0 नरोत्तम मिश्रा ने रिप्रजेटेंशन आॅफ पीपुल एक्ट की धारा 10ए को चुनौती दी थी, उन्होंने याचिका में धारा को अवैधानिक बताया था, इस धारा के तहत चुनाव आयोग जो जांच कर रहा है, उसे समाप्त करने को कहा था। हाईकोर्ट ने मिश्रा व पूर्व विधायक राजेन्द्र भारती का पक्ष सुनने के बाद अपना फैसला सुनाया। अधिवक्ता विसौरिया के अनुसार दतिया के पूर्व विधायक राजेन्द्र भारती ने नरोत्तम मिश्रा पर वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में अखबारों में पेडन्यूज छपवाने का आरोप लगाया था और धारा 10ए के तहत चुनाव आयोग के समक्ष शिकायत की थी। 

पेडन्यूज का हिसाब चुनाव खर्च में नहीं देने पर उन्हें अयोग्य घोषित करने की मांग की गई थी। चुनाव आयोग ने इस मामले को लेकर जनवरी 2013 में 5 साल बाद नोटिस जारी कर बयान के लिये बुलाया था। चुनाव आयोग की कार्यवाही से बचने के लिये उन्होंने हाईकोर्ट की युगल खण्डपीठ में याचिका दायर की थी, इस याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। 

दूसरी ओर हाईकोर्ट की सिंगल बैंच में राजेन्द्र भारती ने चुनाव याचिका दायर की है। सिंगल बैंच में इस याचिका की सुनवाई चल रही है। अधिवक्ता विसौरिया के अनुसार हाईकोर्ट की सिंगल बैंच चुनाव आयोग को नरोत्तम मिश्रा पर कार्यवाही के लिये स्वतंत्र कर चुकी है। अगर पेडन्यूज में नरोत्तम मिश्रा दोषी पाये जाते हैं और 2008 का निर्वाचन अयोग्य घोषित किया जाता है तो वे 3 साल तक विधानसभा में नही बैठ सकते हैं। इसका असर वर्तमान विधायिकी पर भी पड़ेगा। 

याद दिला दें कि उ.प्र. के बाहुवली नेता डीपी यादव की पत्नी उर्मिलेश यादव को इसी तरह के पेडन्यूज के मामले में चुनाव आयोग ने अयोग्य घोषित किया है। वे उ.प्र. हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक गईं, लेकिन उन्हें कोई राहत नहीं मिली। नरोत्तम मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा पूर्व में खटखटाया था, लेकिन वहां भी उन्हें नाउम्मीद ही मिली। सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुये, याचिका खारिज कर दी कि जो भी बात करनी हैं, वह मुख्य याचिका में ही करें। कुल मिलाकर नरोत्तम मिश्रा की विधायिकी की राह अब आसान नही हैं। 

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