घोटाला | हाउसवाइफ, दूधवाला और व्यापारी, सब के सब मजदूर सरकारी

सुधीर ताम्रकार/बालाघाट। शासन द्वारा मजदूरों को मिलने वाली सहायता राशि लेने की आड़ में मजदूर बनकर बिगत 4 वर्षो के दौरान लगभग 80 लाख रूपये की राशि शासन से हड़प कर ली गई। इस बात की जानकारी मिलते ही कलेक्टर व्ही किरण गोपाल ने श्रम अधिकारी डीएस चौहान को जांच कर फर्जी मजदूर बनकर शासकीय राशि हडपने वालो की जानकारी प्राप्त करने के निर्देश दिये है।

इस तारतम्य में 85 ठेकेदारों को नोटिस जारी कर उन्हें शीध्र इस बात का प्रमाण प्रस्तुत करने के निर्देश दिये है कि जिन्हे मजदूर होने का प्रमाण पत्र दिया गया है क्या वे सही में मजदूरी करते है या फिर चंद रूपये लेकर उन्हें मजदूर बना दिया गया है।

इस कारगुजारी का खुलासा श्रम अधिकारी द्वारा की गई जांच में जब हुआ जब गृहणी दुकानदार और दूध बिक्री का काम करने वालो के मजदूरी कार्ड और उनके द्वारा शासकीय योजना का लाभ लेने के तथ्य सामने आये।

जिला प्रशासन ने ठेकेदारोे और सरपंचों को नोटिस जारी कर मजदूरों के संबंध में जानकारी मांगी है साथ ही ठेेकेदारों द्वारा दिये जाने वाले योजनाओं की संपूर्ण जानकारी मयदस्तावेज के मांगी है इसके चलते फर्जी मजदूर बनाने वालों में हडकंप मच गया है।

यह उल्लेखनीय है कि पंजीकृत महिला मजदूर को प्रसव के दौरान 45 दिन का अवकाश उसके पति को 15 दिन का अवकाश इस दौरान शासकीय भत्ता मजदूर के पुत्री के विवाह पर 25 हजार रूपये की सहायता 45 वर्ष से कम उम्र के मजदूर की मृत्यु पर 78 हजार रूपये एवं 45 वर्ष से अधिक के मजदूर पर 28 हजार रूपये की सहायता मजदूर के बच्चों को मेधावी छात्र पूरस्कार नागपूर के 6 एवं इंदौर के 1 अस्पताल में इलाज करने पर 30 हजार से 2 लाख रूपये की सहायता 6 वर्ष तक मजदूरी करने वाले पुराने श्रमिक को भवन निर्माण के लिये 1 लाख 20 हजार रूपये की सहायता प्रदान की जाती है।

इसके अलावा मजदूर के बच्चों को पीएससी और यूपीएससी के प्रथम चरण, द्वितीय चरण में सफल होने पर प्रोत्साहन राशि दी जाती है।

बालाघाट जिले में 66 हजार पंजीकृत मजदूर हैं वर्ष 2014-15 में 42071 मजदूरों के बच्चों को मेघावी छात्र को दी जाने वाली छात्रवृत्ती का लाभ दिया जा चुका है इसके अलावा 24 हजार छात्रों को अन्य तरह की छात्रवृत्ती दी जा चुकी है।

शासन के नियमानुसार किसी भी व्यक्ति को मजदूर बनाने के लिये मजदूर होने को कार्ड प्रमाण पत्र देने हेतु कुछ नियम बनाये गये है जिसके अनुसार 18 से 60 वर्ष तक ऐसे व्यक्ति जो पंजीकृत ठेेकेदार,मनरेगा या किसी भी शासकीय योजना में कम से कम प्रतिवर्ष 90 दिन काम करते रहने पर उन्हें मजदूर माना जाता है ऐसे लोगो को मजदूर होने का प्रमाण पत्र पेश करने पर शासकीय योजना का लाभ प्राप्त करने की पात्रता प्राप्त हो जाती है।

जो मजदूर शासकीय योजना का लाभ लेना चाहते है वे एक निर्धारित आवेदन प्रपत्र के प्रारूप जिसमें ठेकेदार का पंजीयन क्रमांक एवं पूर्ण जानकारी,ग्राम पंचायत की स्वीकृती के साथ श्रम कार्यालय में 15 रूपये के आवेदन शुल्क साथ जमा कराना पड़ता है। यह शुल्क 5 वर्ष तक मान्य होता है। मजदूर स्वयं श्रम कार्यालय में ना आकर अपने ठेकेदार के माध्यम से यह जानकारी देकर पंजीयन कर वा सकता है।

मजदूरों को दी जाने वाली इस सहायता को हड़प करने वालों में होड़ मज गई और उन्होने मजदूर होने का फर्जी कार्ड बनवाकर शासकीय सहायता प्राप्त कर ली। हर व्यक्ति मजदूर होने का कार्ड बनवाने में जुट गया इन विसंगतियों की आड़ में लगभग 85 ठेकेदार और 60 से अधिक ग्राम पंचायतों के सरपंचों ने सेकडों लोगों से रकम वसूलकर उन्हें मजदूर होने का कार्ड बनवा दिया।

इस संबंध में कलेक्टर व्ही किरण गोपाल ने अवगत कराया की प्रारंभिक जांच में इस बात का खुलासा हो गया है कि दुध वालों, किराना और सब्जी के दुकानदारों, घर में काम करने वाली महिला मजदूरों के नाम मजदूरी कार्ड बनवाने वालों ने शासकीय योजना का लाभ लिया गया है। जांच पूरी होने पर सभी दोषीयों के विरूद्ध कार्यवाही की जायेगी।


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