रेलवे की योजना गरीब विरोधी

राकेश दुबे@प्रतिदिन। सरकार रेल के यात्री किराये में वृद्धि के मंसूबे बना रही है, यह घाटा कम करने की एक कवायद है| इस कवायद के पहले सरकार ने जीतने भी कदम उठाये वे कोई भी आम जनता को न तो लाभ ही दे पाए और न ही जन आंकक्षा को ही पूरी कर सके | यह बात अब संसद भी मानने लगी है|

लोकलेखा समिति ने संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में तत्काल टिकटों की बिक्री और मूल्य व्यवस्था को गरीब विरोधी बताया है| पेश की गयी समिति की ११ वीं रिपोर्ट में कहा गया है कि तत्काल टिकटों की व्यवस्था अंतिम समय पर यात्रा का निर्णय लेने वाले यात्रियों की सहूलियत के लिए शुरू की गयी थी|

इसका लाभ सभी वर्ग के यात्रियों को मिलता चाहिए था, लेकिन हाल के वर्षों में रेलवे ने इस प्रणाली का उपयोग मुनाफे के लिए करना शुरू कर दिया है|उसने आधे तत्काल टिकटों को परिवर्तनशील किराया प्रणाली (डायनामिक फेयर) में डाल कर इनके लिए ऊंची दरें तय कर दी गयी हैं|इससे इस प्रणाली का उद्देश्य बाधित हो गया है. क्योंकि संपन्न लोग तो इंटरनेट के जरिये ऊंची दरों पर तत्काल टिकटें बुक करा लेते हैं, परंतु गरीब लोगों के लिए ऐसा करना संभव नहीं होता और यह उनके हित में नहीं है| इसलिए रेलवे को इसे दुरुस्त कर गरीबों के अनुकूल बनाना चाहिए|

समिति ने कहा है कि न केवल तत्काल टिकटों पर प्रीमियम घटाना चाहिए, बल्कि इंटरनेट से इनकी बुकिंग की सीमा भी कम करनी चाहिए, ताकि गरीब यात्री टिकट खिड़की से आसानी से तत्काल टिकट बुक करा सकें |समिति ने सुरक्षा के लिहाज से वैसे तो रेल यात्रियों के लिए पहचान पत्र की अनिवार्यता को सही ठहराया है, लेकिन इस नियम के नाम पर बच्चों, महिलाओं, गरीबों, अनपढ़ व वृद्ध यात्रियों को प्रताड़ित न किए जाने के लिए टीटीई को निर्देश देने की भी सिफारिश की है|

समिति ने रेल यात्री सेवा एजेंट (आरटीएसए) स्कीम के तहत अनियमितताएं करते पकड़े जाने वाले एजेंटों के खिलाफ समुचित कार्रवाई न करने के लिए रेलवे को फटकार भी  लगायी है|

लेखक श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703
rakeshdubeyrsa@gmail.com


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