भोपाल। 30 करोड़ रुपए आज भी एक बड़ी रकम होती है। भोपाल में यदि कोई इमारत 30 करोड़ की लागत से बनाई जाए तो उसे देखने के लिए लोगों की भीड़ लग जाएगी लेकिन 1871 से 1884 के बीच 30 करोड़ की लागत से बना भोपाल के अनौखे ताजमहल को देखने अब कोई नहीं आता। सरकारी बेरुखी से बर्बाद हुए इस ताजमहल की दास्तां अब बस कागजों में सिमटकर रह गई है।
भोपाल की सुल्तान शाहजहां बेगम ने भोपाल में इस इमारत का निर्माण (1871-1884) करवाया था। उस वक्त इसे बनाने में करीब 30 करोड़ रुपए का खर्च आया। शुरुआत में इसे राजमहल नाम दिया गया। बाद में भोपाल में रहने वाले अंग्रेज इसकी खूबसूरती से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने इसका नाम ताजमहल सुझाया। बेगम को भी यह पसंद आया और उन्होंने इसका नाम ताजमहल रखा।
हालांकि, अब देखरेख के अभाव में ताजमहल के कुछ हिस्सों पर अतिक्रमण हो चुका है। कुछ ढह गए हैं और कुछ ढह रहे हैं। ऐसे में यह कितने दिन तक बच पाएगा, कहना मुश्किल है।
देश में धरोहर इमारतों का संरक्षण करने वाली कुछ संस्थाओं ने इस ताज को बचाने के लिए प्रदेश सरकार को सालभर पहले प्रस्ताव भेजा था। हालांकि, सरकार की ओर से इस पर कोई सकारात्मक पहल नहीं हुई।