सुधीर ताम्रकार/बालाघाट। गरीब बैगा आदिवासी के आवास निर्माण के नाम पर भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारी कर्मचारियों पर कार्यवाही तय होने की तारीख करीब आती दिखाई दे रही है। तीन वर्ष से खुले आसमान के नीचे जीवन यापन करने वाले गरीब बैगा आदिवासी के नाम पर अपनी जेब गर्म करने वाले पर न्यायालय ने सख्ती दिखाई है।
बैहर, बिरसा क्षेत्र के गरीब आदिवासी बैगाओं के आवास निर्माण वर्ष 2009 में किए गए भ्रष्टाचार मामले में एक दिसम्बर तक दोषी अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज कर जबलपुर हाई कोर्ट में पेश करना है। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ए एम खानविलकर और जास्टिस संजय यादव की खंडपीठ ने आदिवासी बैगाओं के मामले पर निर्देशित किया है।
गौरतलब रहे कि इस मामले पर बालाघाट एसपी गौरव तिवारी ने कोर्ट को बताया कि आदिवासी विकास विभाग के अधिकारियों ने अधूरी जानकारी दी थी। इस आधार पर दोषियों के खिलाफ कमजोर एफआईआर दर्ज की थी। 12 नवम्बर 2014 को भी बालाघाट पुलिस को उक्त मामले में एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिये थे। इस आधार पर 420,409, 467,468471,120 बी, एससी,एसटी एक्ट के तहत मामले दर्ज कर लिये गये है।
आदिवासी विकास विभाग के अधिकारियों ने पुलिस को अधूरी जानकारी दी थी इस आधार पर केवल 420 की धारा तहत मामला दर्ज किया गया था।
कोर्ट ने पाया की एफआईआर बहुत ही हल्के रूप मे की गई है। कोर्ट ने दोषी अधिकारियों के विरूद्ध पद को दुरूपयोग,भ्रष्टाचार करने की रिपोर्ट दर्ज करने के निर्देश दिये हैं।
जल्द ही आदिवासी विकास विभाग के अधिकारियों को तत्कालीन दोषी अधिकारियो समेंत अन्य संलिप्त लोगों की सूची न्यायालय में पेश करना होगा।
लगभग आधा दर्जन से अधिक अधिकारियो और कर्मचारियों पर एफआईआर,धोखाघड़ी के मामले दर्ज होगे। जिसमें तत्कालीन एकीकृत परियोजना अधिकारी, आदिवासी विकास विभाग बैहर, परियोजना प्रशासक, सहायक आदिवासी आयुक्त आदिवासी विकास विभाग बालाघाट, बैगा आवास निर्माण करवाने वाले एनजीओ संचालक और गोलमाल में शामिल विभागीय कर्मचारी होगें।