इन्दौर में सहकारी समिति का काला कारोबार पकड़ा

इंदौर। इनकम टैक्स भोपाल की इंटेलिजेंस विंग ने इंदौर की गुरुशरण सहकारी समिति में 500 करोड़ रुपए का हवाला रैकेट पकड़ा है। समिति ने कैश लेकर कपड़ा व्यापारियों को बड़े पैमाने पर चेक जारी किए हैं। साथ ही सारा कैश निजी बैंकों आईसीआईसीआई, एक्सिस और राष्ट्रीयकृत बैंक एसबीआई में डिपॉजिट कर रखा है।

इंटेलिजेंस विंग ने गुरुवार को इंदौर में समिति के संचालक दीपक थरानी के 74 स्कीम स्थित घर तथा रिवर साइड रोड स्थित दफ्तर समेत चार ठिकानों पर कार्रवाई की है। देर रात तक करीब 30 लोगों से इस मामले में पूछताछ भी की गई।

कार्रवाई के दौरान बरामद दस्तावेजों में सामने आया है कि समिति व्यापारियों से ब्लैकमनी लेकर उसे चेक जारी कर रही थी। चेक के साथ विंग को कुछ नामों की सूची भी मिली है। इनसे अब यह पूछा जाएगा कि कैश का स्रोत क्या है? उसकी वैधता की भी जांच की जाएगी। इंटेलिजेंस विंग मप्र में इस तरह के खुलासे उत्साहित है और कैश के सोर्स की तलाश में जुट गई है।

0.5 फीसदी कमीशन पर बड़ा धंधा
अभी तक की जांच में सामने आया है कि सहकारी समिति मात्र 0.5 प्रतिशत के कमीशन के चक्कर में ब्लैकमनी को वैध कर रही थी। व्यापारी समिति को बड़ी राशि देते थे और चैक से अथवा किसी दूसरे शहर में यह राशि वापस ले लेते थे। इनकम टैक्स विभाग की मानें तो समिति संचालक के हवाला ऑपरेटर होने के भी सबूत मिले हैं, जिनकी जांच जारी है।

बहीखाते में कुछ भी नहीं
समिति के दस्तावेज और बहीखातों की छानबीन में यह भी पता चला है कि बैंकों में डिपोजिट कैश की जानकारी बुक्स में दर्ज नहीं की गई है। लिहाजा जिनके नाम के चैक मिले हैं, उन्हें बुलाकर पूछताछ की जाएगी। समिति संचालक को भी हर चैक की जानकारी देनी होगी।

दो माह में तीसरी बड़ी कार्रवाई
किसी समिति के पास इतनी बड़ी राशि कैश के रूप में मिलना बड़ी घटना है। दो माह के भीतर इंटेलिजेंस विंग की यह तीसरी कार्रवाई है, जो मालवा में ही हुई है। इंदौर से पहले धार की राजेंद्र सूरी को-ऑपरेटिव क्रेडिट सोसायटी के यहां भी सर्वे किया गया था, तब 58 करोड़ रुपए का डिपोजिट मिला था। इसी तरह उज्जैन की श्री वर्धमान को-ऑपरेटिव क्रेडिट सोसायटी के यहां भी 300 करोड़ रुपए का डिपोजिट पाया गया था। कुल मिलाकर अब तक 858 करोड़ रुपए के हवाला कारोबार का पता लग चुका है।

इंदौर की को-ऑपरेटिव सोसायटी पर कार्रवाई की गई है। कुछ दस्तावेज पकड़े गए हैं, जिनकी छानबीन के बाद समिति के डिपोजिट के बारे में स्थिति स्पष्ट होगी। हवाला रैकेट को लेकर भी जांच कर रहे हैं।
केसी घुमरिया, निदेशक, इनकमटैक्स इंटेलिजेंस विंग (मप्र-छग)

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