भोपाल। करीब दस साल बाद अगले साल फिर एमपी स्लेट (स्टेट लेवल एलिजिब्लिटी टेस्ट) आयोजित की जाएगी। इसे व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) की ओर से आयोजित किया जाएगा। इसका सिलेबस समेत अन्य नितियों को अंतिम रूप देने के लिए पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है। कमेटी में पांचों यूनिवर्सिटी के कुलपतियों को रखा गया है। स्लेट पास उम्मीदवार को कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए पीएचडी करना अनिवार्य नहीं होता।
एमपी स्लेट अंतिम बार वर्ष 2005 में आयोजित की गई थी। इसके बाद से यह परीक्षा नहीं हो सकी थी। लेकिन राज्य शासन ने टीचर्स की कमी को देखते हुए फिर से स्लेट आयोजित करने का निर्णय लिया है।
पांच सदस्यीय कमेटी गठित
राज्य शासन ने एमपी स्लेट के लिए पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। कमेटी को दो महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट राज्य शासन को देगी। इसी आधार पर राज्य शासन व्यापमं से परीक्षा आयोजित करेगा। बीयू के कुलपति डॉ. मुरलीधर तिवारी को इस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया है। कमेटी स्लेट का सिलेबस समेत अन्य नीतियां तय करेगी।
नेट और स्लेट को पीएचडी से छूट
नेशनल एलिजिब्लिटी टेस्ट (नेट) या स्टेट लेवल एलिजिब्लिटी टेस्ट (स्लेट) पास व्यक्ति यदि असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए आवेदन करता है, तो उसे पीएचडी से छूट दी जाती है। हालांकि स्लेट पास उम्मीदवार को उसी राज्य में छूट मिलती है, जहां से उसने परीक्षा पास की है।
जल्द होगी बैठक
स्लेट के लिए कमेटी गठित होने संबंधी पत्र राज्य शासन की ओर से मिला है। इस संबंध में जल्द बैठक आयोजित की जाएगी। इसके बाद रिपोर्ट राज्य शासन को भेज दी जाएगी।
डॉ. मुरलीधर तिवारी कुलपति बीयू